जम्मू-कश्मीर : मेडिकल कालेजों में डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक की तैयारी, चिकित्सा विशेषज्ञों ने की थी सिफारिश

जम्मू-कश्मीर के मेडिकल कालेजों में डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने की तैयारी की जा रही है।

Update: 2022-02-10 05:07 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर के मेडिकल कालेजों में डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। शिकायतें मिल रही हैं कि मेडिकल कॉलेजों में तैनात डाक्टर निजी क्लीनिकों में अधिक समय दे रहे हैं, जिससे सरकारी स्तर पर सेवाएं प्रभावित होती हैं।

उच्च न्यायालय के निर्देशों पर गठित चिकित्सा विशेषज्ञों ने डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। इसमें पहले चरण में मेडिकल कॉलेजों की निजी प्रैक्टिस को बंद करने की योजना है। विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छा वेतन पाने के बावजूद सरकारी स्तर पर डॉक्टर निजी प्रैक्टिस की ओर अधिक रुझान दिखाते हैं, जिससे बेरोजगार डॉक्टरों को रोजगार नहीं मिल पाता है और उन्हें दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है।
निजी प्रैक्टिस के कारण मेडिकल कॉलेजों में रोगी देखभाल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। एक विशेषज्ञ ने बताया कि निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में निजी क्लीनिक और कारपोरेट अस्पतालों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगा, जिससे दूरदराज क्षेत्रों के रोगियों को चिकित्सा सुविधाओं के लिए शहरों में नहीं आना पडे़गा।
विशेषज्ञों ने बताया कि जीएमसी में एक डॉक्टर औसतन एक हफ्ते में दो से तीन ऑपरेशन करता है और वही डाक्टर कुछ ही घंटों में निजी नर्सिंग होम में आठ से दस ऑपरेशन कर लेता है। सरकारी डाक्टरों द्वारा चलाए जा रहे निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ रही है।
निजी प्रैक्टिस निश्चित रूप से रोगी देखभाल, चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा पर भारी पड़ रही है। अधिकांश वरिष्ठ डॉक्टर अपना समय निजी क्लीनिकों में बिता रहे हैं।
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