तीसरी लहर में जम्मू-कश्मीर में अधिकांश मौतें ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण हो रही हैं, ज्यादातार बुजुर्ग या पहले से बीमार

तीसरी लहर में जम्मू-कश्मीर में कोरोना मरीजों की हो रही मौतों में आधे से ज्यादा मौतें ओमिक्रॉन वेरिएंट से हुई हैं।

Update: 2022-01-31 01:25 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तीसरी लहर में जम्मू-कश्मीर में कोरोना मरीजों की हो रही मौतों में आधे से ज्यादा मौतें ओमिक्रॉन वेरिएंट से हुई हैं। संभाग के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल जीएमसी जम्मू के माइक्रोबायोलॉजी विज्ञान ((सूक्ष्म जीव विज्ञान) विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर संदीप डोगरा के अनुसार अब तक हुए शोध के अनुसार प्रदेश में डेल्टा प्लस वेरिएंट से ओमिक्रॉन वेरिएंट ज्यादा शक्तिशाली हो चुका है। अब जिन मरीजों की मौतें हो रही हैं वह ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से ही हो रही हैं।

डॉ. डोगरा के अनुसार जम्मू-कश्मीर में जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला नहीं होने की वजह से मरीजों के अलावा कोरोना से मर रहे मरीजो के सैंपल जांच के लिए नई दिल्ली स्थित प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं। वहां से जांच रिपोर्ट मिलने में एक महीने से भी ज्यादा का समय लग रहा है, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय व जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला से मिली अब तक की रिपोर्ट के अनुसार तीसरी लहर में प्रदेश में ज्यादातर मौतें अब ओमिक्रॉन वेरिएंट से ही हो रही हैं।
हालांकि डॉक्टरो के अनुसार ओमिक्रॉन वेरिएंट से ज्यादातर जो मौतें हो रही हैं, उनमें ज्यादातार बुजुर्ग हैं या वह लोग हैं, जिन्हें पहले से कोई बीमारी थी। डेल्टा प्लस वेरिएंट मौतों के मामले में ज्यादा खतरनाक रहा है। हालांकि ओमिक्रॉन वेरिएंट काफी तेजी से फैला, यहीं चिंता का कारण है। उल्लेखनीय है कि कोरोना की तीसरी नहर प्रदेश में दिसंबर के आखिरी सप्ताह में आई थी। 21 दिसंबर तक प्रदेश में कोरोना की पहली दो लहर में 4514 लोगों की मौत हो चुकी थी, जबकि 29 जनवरी 2022 तक 138 लोग तीसरी लहर में अपनी जान गंवा चुके हैं।
अध्ययनों में यह बात भी सामने आई है कि कोरोना की यह लहर उन लोगों पर ज्यादा घातक साबित हुई है जो उम्रदराज हैं या फिर पहले से किसी बीमारी का शिकार हैं या रहे हैं। देशव्यापी स्तर पर यह बात सामने आ रही है।
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