रणनीति के तहत हाईवे पर गिराई जा रही हैं आईईडी, यह है सीमापार बैठे दुश्मन का मकसद

सीमा पार से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) एक रणनीति के तहत इस पार भेजी जा रही हैं और उन्हें अधिकांशत: हाईवे के नजदीक गिरया जा रहा है।

Update: 2022-06-09 02:29 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सीमा पार से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) एक रणनीति के तहत इस पार भेजी जा रही हैं और उन्हें अधिकांशत: हाईवे के नजदीक गिरया जा रहा है। इसका मकसद है कि आईईडी आसानी से आतंकियों के लिए काम करने वाले मददगारों तक पहुंच जाए। बीते कुछ दिनों से सीमापार से ड्रोन के जरिये विध्वंसक सामान गिराने के कई मामले सामने आए हैं।

कानाचक क्षेत्र में मंगलवार को मिली आईईडी भी जम्मू-पुंछ हाईवे के अखनूर के नजदीक थी। इसके पहले पिछले साल अखनूर पुल के नजदीक हाईवे के पास 6 किलो की आईईडी मिली थी। कुछ दिन पहले कठुआ के राजबाग में भी पेलोड के साथ आया ड्रोन हाईवे तक पहुंच गया था। बेशक, यह सब साजिस के तहत ही किया जा रहा है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि सीमा पार से हाईवे के आसापास आईईडी इसलिए गिराई जाती है कि इसे लेने पहुंचे मददगारों को दिक्कत न हो, यदि कहीं किसी तरह फंसने की स्थिति आ जाए तो भागने में भी आसानी हो। हाईवे पर वाहनों की मूवमेंट अधिक होती है। यहां पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
असलहा तो मिला, लेकिन हत्थे नहीं चढ़े रिसीवर
जानकारी के अनुसार, कठुआ, अखनूर, अरनिया और सांबा में पिछले एक साल में ड्रोन के जरिए सीमापार से आईईडी और हथियार लाने के 7 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन इनमें से किसी एक भी रिसीवर को नहीं पकड़ा गया है।
हाईवे तक पहुंच रहे आतंकी
बता दें कि आतंकी भी सीमा पार से घुसपैठ करने के बाद नदी- नालों से हाईवे तक पहुंच रहे हैं। पिछले 2 सालों में सामने आए मामलों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा आतंकी सीमा पार से घुसपैठ करने के बाद सांबा के पास हाईवे तक पहुंचे हैं। यहां से कश्मीर जाने के लिए उन्होंने ट्रकों का सहारा लिया। हालांकि इस बीच तीन बार आतंकियों को नगरोटा और झज्जर कोटली में मार गिराया गया।
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