सैंज: विदाई की बेला में मानसून की सक्रियता से नदियों के बढ़ते जलस्तर एवं आसमान से बादल फटने, अवैज्ञानिक खनन, जड़ी बूटियों के दोहन के चलते सैंज प्रोजेक्ट व पार्वती जल विद्युत परियोजना प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई है। पार्वती व सैंज नदी के बेसिन पर अब अगर बारिश हुई या फिर बादल फटने की घटना हुई। तो सौ मेगावाट का सैंज हाइड्रो प्रोजेक्ट और पार्वती प्रोजेक्ट का 43 मीटर ऊंचा बांध भी खतरे की जद में आएंगे। सैंज नदी के उद्गम स्थल लाहुली भाती और शाकटी मरोड़ के साथ अन्य ग्लेशियर टूटने के कगार पर है। और ग्लेशियर का पानी रुक कर झील का आकार ले रहा है। हालांकि सैंज घाटी के लोग खौफजदा है। किंतु हाइड्रो प्रोजेक्ट्स का संचालन कर रही एजेंसियों के लिए सौगात वाली खबर नहीं है। पहाड़ों से बारिश का पानी और आया तो स्थितियां काबू से बाहर हो जाएगी। पार्वती नदी का जलस्तर रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छू रहा है। मौसम विभाग की माने तो मॉनसून फिर लौट सकता है। एनएचपीसी द्वारा सियूंड में बनाया गया 43 मीटर ऊंचा बांध जिसकी क्षमता 1206800 क्यूबिक मीटर है।
पानी से फुल रहता है और रोजाना करोड़ों रुपए की बिजली पैदा कर रहा है। जबकि निहारनी में हिमाचल पावर कॉरपोरेशन का 25 मीटर ऊंचा बांध रोजाना सैकड़ों मेगावाट बिजली पैदा कर रहा है। ऐसे में अगर पानी का बहाव रुका तो हाइड्रो प्रोजेक्ट को करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ सकता है। वही पार्वती पावर स्टेशन बिहाली में तैनात मुख्य ग्रुप महाप्रबंधक प्रकाश चंद ने बताया कि एनएचपीसी ने बांध में तकनीकी स्टाइल अपनाते हुए बांध के दोनों गेट को खोलने के बाद नदी को स्वतंत्र किया। पार्वती के ग्रुप महाप्रबंधक ने बताया कि एनएचपीसी स्थानीय प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनशील एवं जिम्मेवार कंपनी है। एनएचपीसी सदैव प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है तथा कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व योजना के तहत घाटी में विभिन्न निर्माण कार्य किए जाएंगे। प्रकाश चंद ने बताया कि एनएचपीसी अभी भी बाढ़ से हुए नुकसान के प्रति गंभीर है तथा लोक निर्माण विभाग के साथ मिलकर लारजी से सैंज तक सडक़ निर्माण में सहायता कर रही है। बिजली विभाग के अलावा मोबाइल नेटवर्क सेवा वहाल करने में एनएचपीसी सहयोग कर रही है। एनएचपीसी के अधिकारी ने बताया कि ऊर्जा निगम को पार्वती प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है। एनएचपीसी ने एक बार फिर घाटी की जनता से सहयोग मांगा है।