सोलन के रेस्ट हाउस से शुरू हुआ ठोडा नृत्य ऐतिहासिक ठोडो मैदान में खेल के साथ संपन्न
हिमाचल प्रदेश न्यूज
सोलन: राज्य स्तरीय शूलिनी मेले का दूसरा दिन कौरवों- पांडवों की संस्कृति को अभिवक्त करता खेल ठोडा के नाम रहा. ठोडा खेल में बजने वाले ढोल-नगाड़ों एवं शहनाई की धुन पर पूरा सोलन शहर नाच उठा. सोलन के रेस्ट हाउस से शुरू हुआ ठोडा नृत्य (Thoda Dance In Maa Shoolini Fair) ऐतिहासिक ठोडो मैदान में खेल के साथ संपन्न हुआ. इस दौरान शिमला एवं सिरमौर जिले से पहुंची चार टीमों ने ठोडा खेल में अपनी धनुर्विद्या का जबरदस्त नमूना पेश किया.
पारंपरिक नाटियों की धुन पर होने वाले इस नृत्य का सोलन भी कायल हुआ. ठोडो दलों के रूप में मुख्य रूप से रासू मानदर, ठियोग के शिलारू, चौपाल के झिना व ठियोग की ट्राइपीरन के दल शामिल थे. ठोडो मैदान में इन सभी दलों ने एक-दूसरे पर करीब एक घंटे तक धनुष बाण से प्रहार कर लोगों का जबरदस्त मनोरंजन किया.
शूलिनी मेले में ठोडा नृत्य
टीमों के साथ आए लोगों ने कहा कि (Thoda Dance In Maa Shoolini Fair) हिमाचल प्रदेश में इन दलों को शाठी-पाशी के नाम से भी जाना जाता है. शाठी कौरवों जबकि पाशी पांडवों का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने कहा कि धनुर्विद्या का यह खेल भारतीय इतिहास में युगों-युगों से चला आ रहा है. जैसे राजा द्रौपद ने स्वयंवर रचाने के लिए धनुर्विद्या के माध्यम से ही योद्धाओं को निशाना साधने की चुनौती दी थी. इसी प्रकार राजा जनक ने त्रेता रामायण काल में बेटी जानकी के विवाह के लिए भी योग्य वर ढुंढने के लिए धनुर्विद्या पर आधारित प्रतियोगिता करवाई थी.