4500 हेक्टेयर भूमि में पोषक अनाज उत्पादन का लक्ष्य, मोटे अनाज के बीजों पर 80 फीसदी सबसिडी देगी सरकार
शिमला: हिमाचल सरकार मोटे अनाज के उत्पादन के लिए किसानों को बीज पर 80 फीसदी सबसिडी प्रदान करेगी। सरकार ने प्रदेश में पौष्टिक अनाजों के उत्पादन के लिए विशेष योजना बनाई है। इस योजना के तहत प्रदेश में इस वर्ष लगभग 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में पोषक अनाजों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अंतर्गत किसानों को नि:शुल्क 35000 मिनी किट उपलब्ध करवाए जाएंगे। प्रदेश में परंपरागत कृषि विकास योजना, आत्मा, भारतीय प्राकृतिक किसान पद्धति व राष्ट्रीय सतत् खेती मिशन के तहत संगठित किसान समूहों को इस कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा।
प्रदेश में इन फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीक के माध्यम से जागरूक करने के साथ इन्हें उपयुक्त बाजार भी उपलब्ध करवाया जाएगा। मोटे अनाज का उत्पादन करने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत उपदान पर बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि पौष्टिक अनाज की महत्ता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष, 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को आहार में पौष्टिक अनाज के समावेश, इनकी उपयोगिता और किसानों को मोटे अनाज के उत्पादन के लिए प्रेरित करना है। हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी जिलों में पोषणयुक्त मोटे अनाज की खेती की जाती है। कोदा, चोलाई, सांवा और कांगणी प्रदेश में पाए जाने वाले मुख्य पोषक अनाज हैं। इसके अलावा कूट्टू, कुटकी, चीणा, बाजरा और कोदो प्रदेश के अन्य पोषक अनाज हैं। प्रदेश सरकार पोषक अनाजों के संवर्धन के लिए बहुआयामी प्रयास कर रही है। -एचडीएम
मोटे अनाज के फायदे
पोषक अनाजों में यह विशेषता है कि इन्हें कम उपजाऊ भूमि के ढलानदार खेतों में बिना किसी खाद या उर्वरक के पैदा किया जा सकता है। यह अनाज इम्यूनिटी बूस्टर का काम करते हैं। इनमें कैल्शियम, आयरन, जिंक, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटाशियम, फाइबर, विटामिन बी-6 प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। सरकार स्कूली विद्यार्थियों को इनसे बने व्यंजनों को मिड-डे मील में शामिल करने पर विचार कर रही है।
वैज्ञानिक तैयार करेंगे डाटा बेस
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की जलवायु के अनकूल पोषक अनाजों की जिलावार पहचान व इनके स्थानीय व वैज्ञानिक नामों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। मोटे अनाजों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विवि नौणी, कृषि विवि पालमपुर तथा राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो से तकनीकी सहयोग लिया जाएगा।
मोटे अनाज की होगी सर्टिफिकेशन
पोषक अनाजों के बीजों को इक_ा कर इनका प्रमाणीकरण कर किसानों में वितरण को बढ़ाया जाएगा। प्रदेश सरकार किसान स्वयं सहायता समूहों, महिला मंडलों को जागरूक कर इनके उपयोग को बढ़ावा प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रही है।