परिवहन निगम के कर्मचारियों को छठा वेतनमान जारी होने से ड्राइवर खुश, मुख्यमंत्री से जल्द मुलाकात कर जताएंगे आभार
शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों को छठा वेतनमान जारी कर दिया गया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। शिमला में हिमाचल ड्राइवर यूनियन ने सरकार के लिए इसका आभार जताया है। यूनियन के अध्यक्ष मानसिंह ठाकुर का कहना है कि पिछले 20 साल से हम इसका इंतजार कर रहे थे। ऐसे में अब छठा वेतनमान जारी होने से हजारों कर्मचारियों को फायदा होगा। हम अब रात दिन जनता की सेवा करने के लिए तैयार हैं। सीएम का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी इस मांग को पूरा करके ड्राइवरों और कंडक्टरों के भविष्य को सुरक्षित किया गया है। जिस तरह से प्रदेश के अन्य विभागों के कर्मचारियों को लाभ दिए गए हैं, अब एचआरटीसी कर्मचारियों को भी ये फायदा दिया गया है। उनका कहना है कि इन मांंगों को लेकर कर्मचारियों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा था। ये कर्मचारियों के संघर्ष का ही परिणाम है, जो उन्हें इस तरह से छठा वेतनमान मिला है। इस संबंध में जल्द ही सीएम जयराम ठाकुर से मुलाकात कर उनका आभार भी जताया जाएगा।
बढ़ाने के बजाए घटा दिया वेतन; कहा, दो दिन में दूर की जाएं विसंगतियां: कर्मचारियों को सरकार व निगम प्रबंधन की ओर से नया वेतमान जारी करने की अधिसूचना कर दी गई है, लेकिन निगम में तैनात परिचालक नए वेतनमान से नाखुश हैं। परिचालकों का कहना है कि जहां नए वेतनमान से वेतन में वृद्धि होकर मिलना चाहिए था वहां नया वेतनमान में वेतन को कम करके दिया जा रहा है। परिचालकों ने बताया कि पहले परिचालकों को 2400 ग्रेड पे दिया जाता था, लेकिन नए वेतनमान के तहत इसको बढ़ाए जाने की जगह कम करके 1900 ग्रेड पे कर दिया गया है। संघ के शिमला ग्रामीण के प्रधान दिपेंद्र कुमार सहित अन्य परिचालक अवलेश, राहुल, अतुल का कहना है कि परिचालक जब तृतीय श्रेणी में आते हैं तो उन्हें चतुर्थ श्रेणी का वेतन क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कैसा छठा वेतन आयोग की सिफारिशें हैं जिससे बढ़ाने की बजाए कम कर दिया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पहले की तर्ज पर परिचालक वर्ग को लिपिक वर्ग के समान वेतन दिया जाए। संघ पदाधिकारियों ने प्रबंधन व सरकार से आगामी एक व दो दिनों में वेतन विसंगतियों को ठीक करने की मांग की है। यदि वेतन विसंगतियों को ठीक नहीं किया जाता है तो परिचालक वर्ग को आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे, जिसकी जिम्मेदारी स्वयं सरकार और निगम प्रबंधन की होगी।