जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश में चिकित्सक सामूहिक अवकाश पर जाएंंगे। चिकित्सक संयुक्त संघर्ष समिति ने 26 फरवरी को एक दिन के सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है और उनकी मांगों पर यदि कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो 28 फरवरी से संपूर्ण हड़ताल पर चले जाएंगे। चिकित्सा अधिकारी संघ ने कहा कि कोविड-19 के दौरान अस्पतालों में व्यवस्थाएं नहीं थीं और सीमित साधनों में सेवाएं प्रदान की, उसका खुलासा किया जाएगा और किन स्थितियों में चिकित्सकों ने सेवाएं प्रदान की हैं, इस संबंध में जनता के समक्ष सारी व्यवस्था को लाया जाएगा। संयुक्त संघर्ष समिति के महासचिव पुष्पेंद्र ने बताया पेन डाउन स्ट्राइक 23 और 24 फरवरी को जारी रहेगी। लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है, अभी तक कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है।
ऐसे में अब चिकित्सकों के पास सामूहिक अवकाश पर जाने का ही विकल्प है। प्रदेश में चिकित्सक गत दिनों से लगातार दो घंटे की पेन डाउन स्ट्राइक पर हैं। इस कारण दो घंटे तक रोजाना स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रहे हैं। अस्पतालों में बेड खाली हो गए हैं। सामान्य आपरेशन भी नहीं हो रहे हैं। इस कारण लोग अस्पताल का रुख नहीं कर रहे। गौरतलब है कि पे स्केल लिमिट व एनपीए बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदेश के अस्पतलों में दो घंटे की हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांगों पर 28 फरवरी को बैठक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ निर्धारित की गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तबीयत बिगडऩे के कारण हड़ताल टल गई थी। ऐसे में अब मुख्यमंत्री के स्वस्थ होने के बाद फिर से मुख्यमंत्री के साथ बातचीत कर मांगों को पूरा करने की मांग उठा रहे हैं।
इन मद्दों पर चल रहा संघर्ष
डॉक्टरों का नॉन प्रैक्टिस अलाउंस को 25 फीसदी के हिसाब से जारी रखा जाए। बेसिक-पे और नॉन प्रैक्टिस अलाउंस की सीमा को पंजाब पे कमीशन के तर्ज पर 237600 रुपए ही रखा जाए, जो कि हिमाचल सरकार ने 218600 रुपए किया है। टाइम स्केल 4-9-14 प्रोमोशन जारी रखी जाए। स्नातकोत्तर भत्ता को बढ़ा कर 7000 से 20000 रुपए किया जाए और मेडिकल कॉलेज के कार्यरत अध्यापक संकाय को शैक्षिक भत्ता दिया जाए। साथ ही स्नातकोत्तर भत्ता और शैक्षिक भत्ता को सीपीआई के साथ जोड़ा जाए और समय-समय पर इसे बढ़ाया जाए। अनुबंध चिकित्सकों का शुरुआती वेतन बेसिक-पे का 100 फीसदी किया जाए, साथ ही उन्हें नॉन प्रैक्टिस अलाउंस भी दिया जाए, जिसको सरकार ने घटाकर 60 फीसदी कर दिया है और उस पर नॉन प्रैक्टिस अलाउंस भी नहीं जोड़ा गया है। चिकित्सक एसोसिएशन का कहना है कि यदि सरकार चार दिनों के भीतर मांगों को नहीं मानती है, तो अगली रणनीति बनाकर अगला निर्णय लिया जाएगा।