शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने ठेकेदारों की लापरवाही के कारण परियोजनाओं के समय पर पूरा न होने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के प्रावधान बनाने के आदेश देते हुए मुख्य सचिव से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व महाधिवक्ता श्रवण डोगरा को इस जनहित मामले की पैरवी के लिए कोर्ट मित्र नियुक्त करने के आदेश जारी किए।
उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंदर सिंह की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह निजी तौर पर इस मामले को देखें ताकि ठेकेदारों की वजह से कोई भी प्रोजैक्ट बेवजह न अटके। कोर्ट ने कहा था कि टैंडर राशि का 2 फीसदी अर्नैस्ट मनी के तौर पर लिया जाना बहुत ही कम है। इसलिए सरकार को ऐसे प्रावधानों पर पुन: विचार करने का वक्त आ गया है वर्ना सारे प्रोजैक्ट बेवजह लटके रहेंगे और समय पर पूरे नहीं हो पाएंगे। कोर्ट ने कहा था कि ठेकेदारों को एक बार काम सौंप देने के बाद अर्नैस्ट मनी को जब्त करने के प्रावधान से कोई फर्क नहीं पड़ता। इस छोटी सी सजा का उन पर कोई असर नहीं पड़ता। ठेकेदारों के खिलाफ ब्लैकलिस्टिंग जैसे कड़े प्रावधान बनाने की आवश्यकता है ताकि समय आने पर दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सके।
मामले के अनुसार पर्याप्त धनराशि स्वीकृत होने के बावजूद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जांगला में विज्ञान भवन न बनाए जाने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। जनहित से जुड़ी याचिका में कानून की छात्रा अस्मिता ने आरोप लगाया है कि चिडग़ांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल जांगला में विज्ञान भवन बनाने के लिए 2.8 करोड़ रुपए की राशि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है। स्कूल के लिए विज्ञान भवन जैसी सुविधाओं के अभाव के चलते छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। मामले पर सुनवाई 11 जुलाई को निर्धारित की गई है।