'डाकघर' का मंचन… विश्व के सबसे लंबे थियेटर फेस्टिवल में नाहन वालों का धमाल
नाहन, 23 जनवरी : रंग संस्कार थियेटर ग्रुप अलवर द्वारा आयोजित विश्व के सबसे लंबे चलने वाले थियेटर फेस्टिवल के दसवें दिन 'डाकघर' का मंचन उत्तराखंड की नाट्य संस्था स्टेपको नाहन ने किया। ज्ञातव्य है कि अलवररंगम के तहत 75 दिन तक नाटकों का मंचन हरु मल तोलानी ऑडिटोरियम में किया जाएगा। रजित कंवर ने बताया कि नाटक के रचयिता गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर है तथा नाटक का निर्देशन रजित सिंह कंवर ने किया है।
'डाकघर' का मंचन
डाकघर नाटक एक जिज्ञासु बच्चे की कहानी कहता है। नाटक का नायक बच्चा जिसका नाम अमल है। इस अनाथ बच्चे को एक लाइलाज बीमारी है, जिसके कारण वह मृत्यु की ओर अग्रसर है। अपनी बीमारी के कारण वह कमरे से बाहर तो नहीं जा सकता, किंतु वह खिड़की के पास आकर बाहर के लोगों से मुखातिब होता है। वह स्वयं की वेदना को एक ओर रखकर खिड़की के पास से गुजरने वाले स्थानीय विक्रेताओं, शहर का चौकीदार और फूल बेचने वाली लड़की सुधा जोकि अमल के लिए प्रतिदिन फूल लाती है। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है।
अमल को यकीन रहता है कि उसके इलाज के लिए राजवैद्य आएंगे और राजा पत्र लिखेंगे। अंत में एक दिन राजवैद्य आता है और राजा का पत्र भी लेकिन तब तक अमल इस दुनिया को छोड़ कर जा चुका होता है। नाटक का अंतिम संवाद दर्शकों को भावुक कर जाता है जिसमें सुधा कहती है कि जब अमल जाग जाएगा तो उससे कहना कि सुधा उसे भूली नहीं है।अपने पहले ही नाटक में 11 साल के वैभव अत्री ने मुख्य किरदार अमल को बहुत ही बेहतरीन तरीके से निभाया और दर्शकों ने नाटक के बाद भी वैभव को सराहा।
फकीर का दमदार किरदार रामकुमार सैनी और माधव दत्त के किरदार में राकेश शर्मा थे। चौधरी पंचानन का किरदार नीरज गुप्ता, दही वाली गीता कैंथ, सुधा आशु शर्मा, वैद्य मोनू यादव, पहरेदार मनीष कांडी, राजदूत का किरदार अमन ने निभाया।
नाटक का प्रकाश रजित कंवर व संगीत नमन वर्मा का था। मंच सज्जा मुकेश शर्मा ,राजीव शर्मा व अहाना की थी। वेशभूषा फरज़ाना सैय्यद की थी। सभी दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से नाटक को सराहा। इस दौरान अलवर के बहुत से समीक्षक, बुद्धिजीवी, वरिष्ठ रंगकर्मी मौजूद रहे।