सहायता राशि बहाल करने की गुहार

Update: 2023-10-08 12:20 GMT
सरकाघाट। सीटू से सबंधित मनरेगा एवं निर्माण मजदूर यूनियन के बैनर तले सैकड़ो मज़दूरों ने सरकाघाट बस स्टैंड पर स्थित राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और एसडीएम के माध्यम से बोर्ड के सचिव व क ार्यकारी अधिकारी शिमला और जिला श्रम कल्याण अधिकारी मंडी को मांगपत्र भेजे। जिसका नेतृत्व यूनियन के राज्य महासचिव व बोर्ड के सदस्य भूपेंद्र सिंह व दिनेश काकू, करतार सिंह चौहान, रणताज राणा, मिलाप चंदेल, प्रकाश वर्मा, लुद्दर सिंह, मान सिंह इत्यादि ने किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सुक्खू सरकार ने मजदूरों के पांच सौ करोड़ के लाभ गैर कानूनी तौर पर रोक रखे हैं और मनरेगा मजदूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से बाहर कर दिया है। उन्हें जो सहायता मिलती थी वो भी रोक दी है। लेकिऩ अब मज़दूरों से कई तरह के दस्तावेज जमा करने को कहा जा रहा है जिससे उन पर और आर्थिक बोझ पड़ रहा है और समय बर्बाद हो रहा है जबकि ये सभी दस्तावेज पहले भी दिए गए हैं। जिसके विरोध में मज़दूर पिछले कई महीनों से मांग कर रहे हैं लेकिन सुक्खू सरकार अपना मज़दूर विरोधी फैसला वापस नहीं ले रही है।
जिसके कारण आज प्रदेश व्यापी विरोध किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बनी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने आते ही मनरेगा मज़दूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से बाहर करने का फैसला गत 12 दिसंबर को लिया है। जिससे साढ़े चार लाख मज़दूरों के पिछले तीन साल के पांच सौ करोड़ रुपए के लाभ रोक दिये हैं। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार के इस फ़ै सले के कारण मज़दूरों के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृति, विवाह शादी, चिकित्सा, पेंशन के अलावा मृत्यु होने पर मिलने वाली सहायता भी बंद कर दी है , जो वास्तव में भवन एवं अन्य निर्माण कामगार क़ानून 1996 की उलंघन्ना है। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अगले सप्ताह होने वाली बोर्ड की बैठक तक भी लंबित लाभ जारी करने तथा रुका हुआ काम बहाल करने बारे फ़ै सला नहीं किया जाता है तो सभी मज़दूर यूनियनें इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करेगी।
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