शलखर में बादल फटने से आठ नालों में बाढ़ आ गई। आवाजाही के रास्ते बंद होने की वजह से क्षेत्र के लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में भी असमर्थ हैं।
जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड की शलखर पंचायत में सोमवार शाम बादल फटने के बाद आठ नालों में बाढ़ आ गई। इससे पंचायत में अफरा-तफरी मच गई है। बाढ़ के कारण कई वाहन मलबे में दब गए हैं तो वहीं घरों में मलबा और पानी भर गया है। आवाजाही के रास्ते बंद होने की वजह से क्षेत्र के लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में भी असमर्थ हैं। इसको देखते हुए ग्रामीणों ने आपदा प्रबंधन, जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार से बचाव कार्य शुरू करने की गुहार लगाई है।
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक क्षेत्र में दोपहर से ही भारी बारिश हो रही है। इसी दौरान शाम करीब 6:00 बजे अचानक क्षेत्र के ऊपरी हिस्से में बादल फट गया। इससे गोतांग क्षेत्र से निकलने वाले पकते नाला, ढूनाला, देनानाला, बस स्टैंड नाला, शारंग नाला, मूर्तिक्यू नाला, गीप और गौतांग नाले में बाढ़ आ गई। इससे शलखर गांव में चारों तरफ पानी घुस गया। मलबा और पानी लोगों के घरों में घुस गया।
पानी के तेज बहाव और मलबे में सड़क और घरों के बाहर खड़े वाहन मलबे में दब गए हैं। इसके अलावा जलशक्ति विभाग समेत स्थानीय करीब छह कूहलें क्षतिग्रस्त हो गई है। घरों में पानी घुसने से लोगों को के सामान को भी नुकसान पहुंचा है। क्षेत्र में देर रात तक भारी बारिश हो रही है, जिससे क्षेत्र के लोग बुरी तरह से सहमे हुए हैं। ग्रामीण सुरक्षित रहने के लिए दूसरे गांव में जाने की कोशिश भी कर रहे हैं लेकिन बाढ़ और मलबे के कारण यहां से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
पंचायत प्रधान शलखर सुमन लता नेगी और बीडीसी सदस्य राम गोपाल नेगी महिला मंडल अध्यक्ष डोलमा नेगी, अशोक नेगी, गंगा राम नेगी और टाशी यंगपाल ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि लगातार हो रही भारी से अनहोनी का डर बना हुआ है। वह मदद के लिए आईटीबीपी और आपदा प्रबंधन से भी संपर्क कर रहे हैं।
उधर, ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से जिला मंडी के जोगिंद्रनगर के तहत कांढा बलेसर और कोठी पत्तन में नाव परिवहन सेवा को आगामी आदेशों तक बंद कर दिया है। धर्मपुर से जोगिंद्रनगर और जोगिंद्रनगर से धर्मपुर की ओर आवागमन करने वाले ग्रामीणों को कई किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ेगा।
मंडी जिले में नदियों और नालों के किनारे और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से सटे सभी स्थलों पर आगामी आदेश तक कैंप साइट भी बंद कर हटाने के निर्देश दिए हैं। आगामी आदेशों तक बरोट और तत्तापानी में किसी तरह की कोई वाटर स्पोर्ट्स गतिविधि भी नहीं हो सकेगी। उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने बताया कि यह आदेश उन शिविर स्थलों पर लागू नहीं होंगे, जिन्हें जिले में विभिन्न ट्रैकिंग मार्गों पर पारंपरिक और ऐतिहासिक रूप से मान्यता दी गई है। ऐसी कैंप साइट को लेकर वन विभाग परिस्थिति अनुरूप निर्णय लेगा।
सोमवार को प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम साफ रहा। मंगलवार को भी कुछ क्षेत्रों में बारिश के आसार हैं। बुधवार को प्रदेश के सभी क्षेत्रों में भारी बारिश और अंधड़ का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। हिमाचल में बीते दो दिनों से मानसून कमजोर पड़ गया है। मैदानी जिलों में अधिकतम तापमान चढ़ने से पसीने छूटने लगे हैं। सोमवार शाम तक प्रदेश में 14 सड़कों पर वाहनों की आवाजाही ठप रही। कुल्लू में आठ, कांगड़ा में दो और चंबा-लाहौल स्पीति-मंडी-सोलन में एक-एक सड़क अभी बंद है।
मंडी में छह और कुल्लू में एक बिजली ट्रांसफार्मर ठप है। चंबा में एक पेयजल योजना प्रभावित चल रही है। प्रदेश में नौ मकान और सात गोशालाएं भी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुई हैं। प्रदेश में जारी बारिश से अभी तक 36,801 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। लोकनिर्माण विभाग को 24,474 लाख और जल शक्ति विभाग को 11,493 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
उधर, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और कांगड़ा में सोमवार को मौसम साफ रहने के साथ तेज धूप खिली रही। राजधानी शिमला में भी दिन भर मौसम साफ रहा। उधर, कोठी पत्तन में नाव सेवा बंद होने से डोल, खड़ीहार, सिद्धपुर और धर्मपुर क्षेत्र के ग्रामीणों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ेगी। बलेसर पत्तन बंद होने से लांगणा, धर्मपुर के बाशिंदों को 30 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करना पड़ेगा।
तापमान (डिग्री सेल्सियस में)
क्षेत्र अधिकतम न्यूनतम
ऊना 38.0 23.4
कांगड़ा 34.5 23.3
हमीरपुर 35.6 21.4
बिलासपुर 35.0 23.0
चंबा 32.9 22.8
नाहन 32.2 25.0
धर्मशाला 33.0 21.2
शिमला 25.0 17.4
कल्पा 26.8 15.0
केलांग 26.9 14.1