NIT हमीरपुर के छात्र को बहुराष्ट्रीय कंपनी में मिला 1.05 करोड़ का सालाना पैकेज, संस्थान का नाम किया रोशन

हिमाचल प्रदेश के एनआईटी हमीरपुर के विद्यार्थियों ने कोरोना महामारी के बावजूद बहुराष्ट्रीय कंपनियों में एक करोड़ से सवा करोड़ तक का पैकेज हासिल कर संस्थान का नाम रोशन किया है।

Update: 2022-01-31 13:53 GMT

हिमाचल प्रदेश के एनआईटी हमीरपुर के विद्यार्थियों ने कोरोना महामारी के बावजूद बहुराष्ट्रीय कंपनियों में एक करोड़ से सवा करोड़ तक का पैकेज हासिल कर संस्थान का नाम रोशन किया है। बीटेक के अंतिम वर्ष कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के छात्र नीरव गनाटे को अमेजन लक्जमबर्ग ने ऑफ कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से 1.05 करोड़ रुपये के सालाना सैलरी पैकेज की पेशकश की है। कुल मिलाकर एनआईटी हमीरपुर के छह विद्यार्थियों ने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ एक करोड़ से अधिक के पैकेज हासिल करके गौरव हासिल किया है। नीरव गनाटे हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सनोरा में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत है। जबकि उनकी माता सोलन जिले के धर्मपुर स्थित अस्पताल में वार्ड सिस्टर के पद पर तैनात है। संस्थान के कार्यकारी निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने नीरव को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में आईटी सक्षम प्रौद्योगिकियों में प्रमुख जोर के साथ नौकरी क्षेत्र में बदलते रुझानों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न भूमिकाओं के लिए छात्रों को तैयार करना बड़ी चुनौती है। इस संबंध में एनआईटी हमीरपुर ने पाठ्यक्रम में सुधार और इसे विद्यार्थियों के लिए और अधिक लचीला बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस तरह की पहल से निश्चित रूप से आगामी बैचों के विद्यार्थियों को इंटर्नशिप और प्लेसमेंट संबंधी गतिविधियों में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। प्रो. अवस्थी ने कहा कि विभिन्न स्नातक,दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के कुल 439 विद्यार्थियों के साथ स्नातक (यूजी) कार्यक्रमों का कुल प्लेसमेंट इंडेक्टस अभी तक लगभग 69 फीसदी तक पहुंच गया है। अब तक लगभग 100 कंपनियों ने अपना भर्ती अभियान ऑनलाइन मोड के माध्यम से चलाया है, जो कि एनआईटी हमीरपुर के पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार एक रिकॉर्ड है।

जानें एनआईटी हमीरपुर को
एनआईटी हमीरपुर देश के उन 31 एनआईटी में से एक है जो सात अगस्त 1986 को भारत व राज्य सरकार के एक संयुक्त व सहकारी उद्यम के तौर पर क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में अस्तित्व में आया। स्थापना के समय सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में प्रत्येक में 30 विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ था। 26 जून 2002 को इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में अपग्रेड किया गया। संस्थान का मिशन गुणवत्ता और मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने से इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, वास्तुकला और विज्ञान के क्षेत्र में अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने का है। इसके अलावा विद्यार्थियों को उच्च नैतिक मूल्यों के साथ जिम्मेदार नागरिक और सक्षम पेशेवर बनने के लिए प्रेरित करने के अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी मानव संसाधन की अपेक्षाओं को पूरा करना है।
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