हवलदार अमरीक सिंह को राजकीय सम्मान से दी अंतिम विदाई, हर आंख हुई नम
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दौलतपुर चौक। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के माछल सैक्टर में 10 जनवरी को वीरगति को प्राप्त हुए हवलदार अमरीक सिंह की पार्थिव देह की 6 दिनों के उपरांत गणु मंदवाड़ा गांव में पहुंचने पर अंत्येष्टि की गई। सोमवार सुबह करीब 7 बजे सैंकड़ों लोग गगरेट पहुंच गए। यहां से शहीद की पार्थिव देह को सेना की गाड़ी में एक काफिले में शहीद के गांव गणु मंदवाड़ा लाया गया। जब तक सूरज चांद रहेगा अमरीक सिंह बाबी अमर रहेगा के गूंजते नारों के बीच सुबह ही लोग जगह-जगह अंतिम दर्शनों के लिए खड़े थे। गगरेट, अम्बोटा, संघनई, दियोली, घनारी, अम्बोआ, नंगल जरियालां, मवा कहोलां, चलेट, दौलतपुर चौक, बबेहड़, रायपुर, मरवाड़ी और गणु मंदवाड़ा गांवों के हजारों लोगों ने शहीद के अंतिम दर्शन करते हुए नम आंखों से विदाई दी। सोमवार सुबह जैसे ही शहीद हवलदार अमरीक सिंह की पार्थिव देह अपने घर के आंगन में पहुंची तो चीखो-पुकार से सारा क्षेत्र मातम में बदल गया।
शहीद की पत्नी रुचि, बेटे अभिनव, मां ऊषा देवी व पिता धर्मपाल सिंह ने ताबूत को हाथों में लेकर चूम लिया। इस दौरान हर किसी की आंखों से आंसू बह रहे थे। घर से लेकर मोहल्ले के तमाम घरों और रास्तों में लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था। घरों की छतें व आंगन में कहीं तिल धरने को जगह नहीं बची थी। करीब एक घंटे के उपरांत शहीद की अंतिम यात्रा श्मशानघाट के लिए शुरू हुई। हजारों लोगों के जनसमूह ने नारे लगाकर माहौल को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया। शहीद के बेटे अभिनव ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। गणु मंदवाड़ा गांव के हवलदार अमरीक सिंह अपने अन्य 2 साथियों के साथ जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के माछल सैक्टर में पैट्रोलिंग के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आकर गत मंगलवार को वीरगति को प्राप्त हुए थे। अमरीक सिंह की पार्थिव देह 6 दिनों के उपरांत घर पहुंच पाई है। हालांकि सेना माछल सैक्टर में तीनों शहीद हुए जवानों को घर पहुंचाने के लिए हर दिन लगातार प्रयास करती रही, लेकिन बर्फबारी के कारण पार्थिव देहों को घर पहुंचाने में 6 दिन लग गए। सोमवार को करीब साढ़े 10 बजे हवलदार अमरीक सिंह की अंत्येष्टि पूरे सैन्य व राजकीय सम्मान के साथ गणु मंदवाड़ा श्मशानघाट पर की गई।