केंद्र सरकार की ओर से जारी हुई नैक की रिपोर्ट में एचपीयू शिमला अव्वल, शूलिनी विवि दूसरे नंबर पर

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद की रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला प्रदेश भर में अव्वल रहा है।

Update: 2022-07-15 04:23 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला प्रदेश भर में अव्वल रहा है। एचपीयू को 3.21 कम्युलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज (सीजीपीए) मिला है। दूसरे नंबर पर सोलन स्थित शूलिनी विवि रहा है। इसे 2.92 सीजीपीए प्राप्त हुआ है। केंद्र सरकार की ओर से नैक रिपोर्ट 2022 जारी हुई है। इसमें निजी कॉलेजों में मूलभूत सुविधाएं सरकारी से बेहतर बताई गई हैं। नैक रिपोर्ट में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों को सीजीपीए के अनुसार रैकिंग दी गई है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला 2.78 सीजीपीए के साथ तीसरे नंबर, चितकारा विवि 2.71 सीजीपीए के साथ चौथे नंबर, जेपी विवि 2.66 सीजीपीए के साथ पांचवें, मानव भारती विवि 2.14 सीजीपीए के साथ छठे, महाराजा अग्रसेन विवि 2.13 सीजीपीए के साथ सातवें और इटरनल विवि 2.14 सीजीपीए के साथ आठवें नंबर पर रहा है। हिमाचल के किसी भी विश्वविद्यालय को नैक से ए प्लस ग्रेड नहीं मिला है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों को बी ग्रेड मिला है। उधर, हिमाचल प्रदेश के 296 कॉलेजों और 15 विश्वविद्यालयों के पास नैक की मान्यता नहीं है। प्रदेश में 338 कॉलेजों में से 42 और 23 विश्वविद्यालयों में से आठ को ही नैक की मान्यता प्राप्त है। 69 कॉलेजों की ओर से नैक मान्यता के लिए आवेदन किए गए हैं।
हिमाचल के कॉलेजों में बढ़े दाखिले
नैक रिपोर्ट के अनुसार बीते कुछ वर्षों के दौरान प्रदेश के कॉलेजों में विद्यार्थियों के दाखिले बढ़े हैं। अधिकांश कॉलेजों में दाखिलों की प्रक्रिया ऑनलाइन चल रही है। वित्तीय और सामाजिक तौर पर कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को दाखिलों में आरक्षण दिया जा रहा है।
मान्यता प्राप्त संस्थानों को मिलती है अधिक ग्रांट
नैक से मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों को केंद्र सरकार की ओर से अधिक ग्रांट दी जाती है। विभिन्न कार्यों के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से ग्रांट दी जाती है। इसके तहत आधारभूत ढांचे को विकसित करने, प्रयोगशालाएं और मैदान बनाने तथा विभिन्न उपकरणों की खरीद के लिए बजट दिया जाता है।
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