हिमाचल प्रदेश: पर्यटन विकास के लिए पहाड़ों की कटाई प्रदेश में ला रही तबाही
हिमाचल प्रदेश न्यूज
धर्मशाला: देवभूमि के वाशिंदे पहाड़ों में तबाही से घबरा गए हैं। सैकड़ों लोगों की जान चले जाने और हजारों परिवारों के बेघर हो जाने से पहाड़ के लोगों का चैन छिन गया है। पानी अपनी निकासी के लिए जब जगह बना रहा है, तो उसकी चपेट में आने वाले व्यक्ति, जानवर, घर, मंदिर, पेड़-पौधे सब तबाह हो जा रहे हैं। पर्यटन के नाम पर धर्मशाला-मकलोडगंज में भी पहाड़ को काटने, नालों को संकरा कर उनके साथ होटल व बड़े-बड़े भवन बनाने सहित त्रियूंड जैसे पहाड़ मेंं भी टैंट कालोनियां बना देने जैसी अनरेगुलेटिड एक्टिविटी विनाश का बड़ा कारण बनने लगी हैं। कई बार इन्हें हटाने के बावजूद वन भूमि पर अवैध कब्जे हो जाते हैं।
अब लोग कह रहे हैं कि क्या मकलोडगंज भी नीचे आ जाएगा। भले ही अभी ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन मकलोडगंज और आसपास के क्षेत्रों में हर साल बड़े-बड़े लैंड स्लाइड हो रहे हैं और अनियंत्रित पहाड़ काटे जा रहे हैं वह किसी बड़े खतरे को न्योता दे रहे हैं। मकलोडगंज-नड्डी व में पहाडिय़ों को काट कर भवन बन गए हैं इनमें से कई भवन नियमों को पूरा नहीं करते हैं। जिसको लेकर एनजीटी, हाई कोर्ट भी सख्ती के निर्देश दे चुका है। -एचडीएम
खड्डों-नालों के किनारे निर्माण पर लगेगी रोक
उपायुक्त कांगड़ा डा. निपुण जिंदल का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में खड्डों-नालों के किनारे निजी भूमि पर भवन निर्माण पर रोक लगाने और भू-स्खलन वाले क्षेत्रों में बड़े भवन निर्माण पर नियम बनाने के लिए सरकार को लिखा जाएगा। उन्होंने कहा शहरी क्षेत्रों में बढ़ते दबाब को रोकने के लिए शहरी निकायों से सख्ती करने और पहाड़ों में अवैध निर्माण व कब्जों को मुक्त करवाने पर सख्ती होगी, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को कम किया जा सके। इसके अलावा वैज्ञानिक तरीके से भी लैंड स्लाइडिंग से बचाव पर काम किया जाएगा।
नियमों के विपरीत बने मकान टूटेंगे
नगर निगम धर्मशाला के कमीश्नर अनुराग चंद्र शर्मा का कहना है कि धर्मशाला-मकलोडगंज में बने भवनों को नियमों के तहत लाना पड़ेगा। कुछ भवनों को लेकर शिकायतें भी हुई है। इन्हें नियमों में लाना पड़ेगा। जांच के बाद इन्हें तोडऩा भी पड़ेगा। पहले ही 45 डिग्री ग्रेड से अधिक पर भवन बनाने को मनाही है। बिगड़े हालात को देखते हुए भविष्य में सख्ती से नियमों को लागू करने का प्रयास किया जाएगा। यहां एनजीटी और हाई कोर्ट के भी आदेश जारी हो चुके हैं। बिगड़े हालात को देखते क्षेत्र को लोगों को भी समझना होगा और डिवेलपमेंट प्लान के अनुशार ही कार्य करना पड़ेगा।
आंखों के सामने बन रहे भवन; तमाशा देख रहा प्रशासन, नगर निगम
पर्यटन नगरी धर्मशाला व मकलोडगंज ही नहीं कांगड़ा की विभिन्न क्षेत्रों में हर साल नए निर्माण कार्य जोर पकड़ रहे हैं। न तो रोक टोक है और न ही कोई नियम कानून। बड़े-बड़े व ऊंचे भवन बनाने वालों को न तो टाउन एंड कंट्री प्लानिंग कुछ कहता है और न ही नगर निगम या जिला प्रशासन की ओर से सख्त नियामों के बिना कोई रोक लगाई जाती है।
भेड़पालकों के रास्तों-ट्रैकिंग साइट्स पर बड़े-बड़े होटलों का निर्माण
पहाड़ की जिन धाराओं में भेड़पालकों के रास्ते और ट्रैकिंग साइट होती थी अब वहां तक होटल बन गए है। सीजन में छोटे से पहाड़ के एक टुकड़े पर ही हजारों की भीड़ पहुंच जाती है। प्रमुख ट्रैकिंग साइट त्रियूंड की बात करें तो वहां से कई बार अवैध रूप से टैंटिंग करने वालों को खदेड़ा गया है, लेकिन कोई पुख्ता नियम नहीं बने और राजनीतिक शह से हर वार कई तरह की घटनाएं होती हैं।
अवैध निर्माण पर लापरवाह अफसरों कर्मचारियों पर हो कड़ी कार्रवाई
अब प्रदेश में बिगड़ते हालत को देखते हुए बुद्धिजीवी लोग आवाज उठाने लगे हैं कि पर्यटन विकास के नाम पर हो रहे विकास को रोकने की आवश्यकता है, जिससे दरकते पहाड़ों को बचाया जा सके। इसके लिए कोई नियम कानून बने और सख्ती से लागू भी हों। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जबावदेही सुनिश्चत की जाए।