हिमाचल चुनाव : सोलन जिले में कांग्रेस, भाजपा को बागियों से खतरा

Update: 2022-11-10 10:04 GMT
 
सोलन,  हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Elections) में सोलन की पांच सीटों में से कम से कम तीन सीटों पर बागी प्रत्याशी (rebel candidate) सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकता है। चुनाव में विपक्षी कांग्रेस जहां जय राम ठाकुर सरकार की 'विफलता', महंगाई, सत्ताविरोधी लहर पर निर्भर रह रही है, वहीं भाजपा विकास कार्यों के दावे के साथ चुनावी मैदान में है पर बागी प्रत्याशी दोनों पार्टियों के चुनाव प्रबंधकों की रणनीतियों में आड़े आ रहे हैं।
जिले की पांच सीटों में से कांग्रेस ने पिछली बार तीन सीटें जीती थीं लेकिन भाजपा ने अर्की उपचुनाव में जीत हासिल कर खोयी जमीन वापस पा ली। इस चुनाव में अर्की में कांग्रेस को तो नालागढ़ और कसौली में भाजपा को बागी प्रत्याशियों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जिससे चुनावी लड़ाई दोनों पार्टियों के लिए मुश्किल दिखाई दे रही है।
नालागढ़, जो 2011 तक भाजपा का गढ़ मानी जाती थी, में भाजपा के लखविंदर राणा को विधायक के एल ठाकुर, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया, की बगावत से जूझना पड़ रहा है। इसके अलावा राणा को 'दल बदलू' जैसे फिकरों का भी सामना करना पड़ रहा है और कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप बाबा उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
कसौली में भाजपा प्रत्याशी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सेजल के हालात अलग नहीं हैं, जहां बागी हरमल धीमन आम आदमी पार्टी प्रत्याशी के रूप में उनका सिरदर्द बनेे हुए हैं। डॉ. सेजल पर समर्पित कार्यकर्ताओं को अपने रिश्तेदारों के लिए किनारे करने, पंचायत के विकास कार्यों की अनदेखी करने और आम लोगों से कट जाने के आरोप हैं। उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी भी उनकी राह मुश्किल बनाते दिख रहे हैं। सुल्तानपुरी पर भी नौकरशाही व्यवहार, भू एवं खनन माफिया को बचाने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की उनके प्रति नाराज़गी लड़ाई में उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं।
अर्की विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पूर्व विधायक रत्तन पाल को टिकट न मिलने के कारण भाजपा के गोविंद राम शर्मा को भी पार्टी मंच पर विरोध से दो-चार होना पड़ रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस में भी बागी राजिंदर ठाकुर उर्फ राजू और पार्टी प्रत्याशी संजय अवस्थी की उपस्थिति से चुनाव दिलचस्प हो गये हैं। यहां सीमेंट निर्माताओं के खनन, ट्रक वालों की लंबित मांगें, किसानों के हालात भी प्रमुख मुद्दे हैं।
सोलन में कांग्रेस के दो बार के विधायक डी आर शांडिल के समक्ष भाजपा ने डॉ. राजेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि यहां भी भाजपा प्रत्याशी को अंदरूनी विरोध से जूझना पड़ रहा है पर उधर श्री शांडिल पर लोगों के कार्यों की अनदेखी किये जाने के आरोप हैं। यहां गिरी पेयजल योजना के जरिये लोगों को नियमित जलापूर्ति कर पाने में सरकार की विफलता, पार्किंग स्थलों की कमी, ट्रांसपोर्ट नगर का न बनना, कमजोर स्वास्थ्य सेवा ढांचा आदि मुद्दे हैं, जिन्हें कांग्रेस उछाल रही है।
दून में भाजपा के परमजीत सिंह 'पम्मी' के हल्के में किये विकास कार्यों जैसे कुथर में तहसील, कॉलेज, लोकनिर्माण विभाग के उप-मंडलीय कार्यालय, चंडी में जल शक्ति विभाग, पट्टा-मेहलॉग में कार्यकारी अभियंता और खंड विभाग अधिकारी कार्यालय खोलने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी राम कुमार के मुकाबले बेहतर स्थिति में माने जा रहे हैं। यहां राम कुमार को हल्के के कुछ प्रमुख पार्टी नेताओं की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है।

 Source : Uni India

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