कांगड़ा जिले के विभिन्न भागों में स्थित बड़ा भंगाल के निवासियों तथा कई अन्य गांवों के चरवाहों ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत उन्हें मालिकाना हक नहीं दिए जाने पर दुख जताया है। वन अधिकार अधिनियम के तहत मालिकाना हक के लिए आवेदन करने वाले कई लोगों ने आज धर्मशाला लघु सचिवालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया तथा कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन में शामिल हिमाचल के गामंतु पशुपालक सभा के राज्य सलाहकार अक्षय जसरोटिया ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत समुदायों के 50 दावे तथा व्यक्तिगत लोगों के 351 दावे पिछले कई वर्षों से लंबित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उक्त दावों को ग्राम स्तरीय समितियों तथा उपमंडल स्तरीय समितियों द्वारा पारित करके जिला स्तरीय समितियों को भेजा गया है। परंतु उनके दावों का निपटारा नहीं किया गया है तथा मालिकाना हक जारी नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में ग्राम पंचायतों में वन अधिकार समितियों का गठन किया गया तथा उसके बाद व्यक्तिगत तथा सामुदायिक दावे दायर करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
जसरोटिया ने आरोप लगाया कि वर्ष 2020 में बैजनाथ उपमंडल की मुल्थान तहसील की 28 ग्राम सभाओं को जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा सामुदायिक वन अधिकार पट्टे प्रदान किए गए हैं। मुल्थान तहसील की ग्राम सभा बड़ा भंगाल के सामुदायिक वन अधिकार दावे को एसडीएलसी बैजनाथ द्वारा अनुमोदित कर डीएलसी को भेजा गया था, जो अभी लंबित है। इसके अलावा कांगड़ा जिले की बैजनाथ तहसील, पालमपुर, जयसिंहपुर, नूरपुर, धर्मशाला व मुल्थान के सामुदायिक व व्यक्तिगत दावे ग्राम सभाओं द्वारा पारित कर एसडीएलसी व डीएलसी को प्रस्तुत किए गए हैं।