हिमाचल प्रदेश Himachal Pradesh : प्रसिद्ध जलवायु विज्ञानी सोनम वांगचुक ने कहा कि लेह से दिल्ली तक की इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों में प्रकृति को नुकसान न पहुंचाने की अपील करना और जागरूकता फैलाना है। कुल्लू पहुंचने पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिमालय पर जलवायु परिवर्तन का तेजी से असर हो रहा है और यह जरूरी है कि लोग पर्यावरण को बचाने के लिए संसाधनों का दोहन सीमित करें। उन्होंने कहा कि शहरों में रहने वाले लोग संसाधनों का अधिक उपयोग करते हैं, जिससे हिमालयी क्षेत्र पर बोझ बढ़ता है।
पर्यावरणविद् ने कहा, "हम राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने और सरकार को अपनी प्रतिबद्धता याद दिलाने का मुद्दा उठाना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर उनकी मांग लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और हिमालय और उसके पर्यावरण को विनाशकारी विकास से बचाने की है।
उन्होंने कहा, "इस मुद्दे पर लद्दाख के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच बातचीत फिर से शुरू होनी चाहिए और सरकार को अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग रहना चाहिए।" वांगचुक ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख में कोई विधायक और विधानसभा नहीं है और नौकरशाही विकास कार्यों का फैसला कर रही है। उन्होंने कहा, "अधिकारियों का तबादला आम तौर पर दो से तीन साल की अवधि में किया जाता है और उनमें से अधिकांश इतने कम समय में क्षेत्र की स्थलाकृति को नहीं समझ पाएंगे। इससे हिमालय को नुकसान होगा और आने वाली पीढ़ियों को इसके परिणाम भुगतने होंगे। लद्दाख में लोकतंत्र को बहाल करना जरूरी है।" इससे पहले कुल्लू में विभिन्न संगठनों और स्थानीय लोगों ने वांगचुक का गर्मजोशी से स्वागत किया। विभिन्न पर्यावरण संगठनों ने वांगचुक और उनके आंदोलन का समर्थन किया। मुख्य संसदीय ठाकुर सुंदर सिंह ठाकुर ने भी वांगचुक से मुलाकात की।