हाई कोर्ट पहुंचा टॉप ब्यूरोक्रेसी का झगड़ा, फाइनेंस सेक्रेटरी का नाम दागियों की लिस्ट में शामिल न करने को चुनौती

राज्य की टॉप ब्यूरोक्रेसी में चले शीत युद्ध के बाद अब एक केस हाई कोर्ट भी पहुंच गया है। प

Update: 2022-09-08 02:30 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राज्य की टॉप ब्यूरोक्रेसी में चले शीत युद्ध के बाद अब एक केस हाई कोर्ट भी पहुंच गया है। प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दागी अधिकारियों के संबंध में तमाम जानकारी बाबत नया शपथ पत्र दो सप्ताह के भीतर दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश को पारित करते हुए मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया। अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर पारित किए, जिसमें कोर्ट ने सरकार में संवेदनशील पदों पर काम कर रहे दागी अधिकारियों के मुद्दे पर संज्ञान लिया है। अदालत ने अपने पिछले आदेशों में मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि वह सभी दागी छवि वाले अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई विभागीय कार्यवाही की स्थिति का खुलासा करते हुए शपथपत्र दाखिल करें। अदालत ने उन्हें एक सारणीबद्ध रूप में एक चार्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था, जिसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा किया गया हो। उसमें दागियों की वर्तमान स्थिति और उनके खिलाफ कार्यवाही के चरण के साथ-साथ उस पर अंतिम कार्रवाई का हवाला दिया जाना जरूरी था।

कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि सरकार शपथपत्र के माध्यम से बताए कि क्या ऐसे दागी छवि वाले अधिकारी किसी संवेदनशील पद पर हैं? उल्लेखनीय है कि हाल ही में इस जनहित याचिका में प्रार्थी बलदेव शर्मा द्वारा अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया गया था कि मुख्य सचिव ने शपथ पत्र के माध्यम से हाई कोर्ट के समक्ष दी गई सूची में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना का नाम जानबूझकर छुपाया। आवेदन में यह आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने भारत सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति जारी करने के बाद सितंबर 2019 में उक्त अधिकारी प्रबोध सक्सेना और अन्य के खिलाफ विशेष न्यायाधीश सीबीआई नई दिल्ली की अदालत में आरोप पत्र दायर किया है, जिसमें संज्ञान लेने के बाद सीबीआई कोर्ट द्वारा प्रबोध सक्सेना को चार्जशीट सम्मन जारी किया गया था और वर्तमान में वह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आईएनएक्स मीडिया मामले में फरवरी 2020 से जमानत पर हैं। आवेदन में आगे आरोप लगाया गया कि इस तथ्य की जानकारी के बावजूद मुख्य सचिव ने जानबूझकर उक्त अधिकारी का नाम दागी छवि वाले अधिकारियों की सूची से छुपाया।
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