Himachal Pradesh,हिमाचल प्रदेश: शिमला जिले के करीब 100 स्कूलों को सरकारी अधिकारियों ने ‘अपना विद्यालय- हिमाचल स्कूल गोद लेने का कार्यक्रम’ के तहत गोद लिया है। स्कूलों और समाज के बीच समन्वय को बेहतर बनाने और सामुदायिक भागीदारी Community Involvementको बढ़ाने के लिए राज्य में यह योजना शुरू की गई है। शिमला के डिप्टी कमिश्नर अनुपम कश्यप ने कहा कि स्कूलों को गोद लेने वाले अधिकारियों को महीने में कम से कम एक बार संबंधित संस्थानों का दौरा करना होगा और छात्रों से बातचीत करनी होगी। डीसी ने कहा, “अधिकारी छात्रों के साथ करियर विकल्प, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध, कानूनी जागरूकता, मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्यों पर चर्चा करेंगे।” अधिकारी स्कूल के कर्मचारियों और स्कूल प्रबंधन समिति के साथ बातचीत करके स्कूल में शिक्षा और सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
डीसी ने कहा, “अधिकारियों को स्कूल विजिटर बुक में सभी सुझावों और
गतिविधियों का रिकॉर्ड रखना होगा। इसके अलावा, अधिकारी स्कूल के भीतर विकास कार्यों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे।” अधिकारी शैक्षणिक गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलों, उपस्थिति और बुनियादी सुविधाओं पर भी काम करेंगे। “उन्हें हर महीने प्रगति रिपोर्ट देनी होगी। रिपोर्ट का मूल्यांकन पिछले महीने की रिपोर्ट से तुलना करके किया जाएगा।'' कश्यप ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत एसडीएम, डीएसपी, खंड विकास अधिकारी, तहसीलदार और नायब तहसीलदार समेत सभी जिला स्तरीय अधिकारियों ने स्कूलों को गोद लिया है। इस योजना के तहत संसद और विधानसभा के सभी सदस्य, वरिष्ठ नौकरशाह, जिला और उपमंडल स्तर के अधिकारी एक-एक स्कूल को गोद लेंगे। उन्हें स्कूलों के संरक्षक के रूप में जाना जाएगा। सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट, खासकर लड़कियों के बीच ड्रॉप आउट की जांच, शिक्षकों की अनुपस्थिति पर रोक, स्कूलों पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सामाजिक दबाव बनाने और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे की देखभाल जैसे मुद्दों को हल करने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है।