हमीरपुर: देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल में पिछले कई वर्षों से सडक़ों पर बेसहारा घूमने वाले गोवंश को बचाने के दावे सरकारें करती रहीं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि गो माता को बचाने की जगह सरकारें अपनी-अपनी रोटियां इस मुद्दे पर सेंकती रहीं। यही नहीं, प्रदेश में होने वाले हर छोटे से बड़े चुनाव में बेसहारा पशुओं का मुद्दा प्रमुखता से उठता रहा, लेकिन चुनावी शोर के साथ-साथ इसकी गूंज भी गुम होती रही, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने सडक़ों पर बेसहारा घूमते गोवंश को बचाने और गौ सदनों की दशा और दिशा बदलने का निर्णय लिया है। इस बात के संकेत शुक्रवार को हमीरपुर पहुचे कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने दिए हैं। दरअसल प्रदेश के गो सदनों में रह रहे मवेशियों को 700 रुपए महीना प्रति पशु के हिसाब से दिया जाता है।
पशुपालन मंत्री ने माना कि यह खर्च नाकाफी है, क्योंकि इस हिसाब से एक पशु को 24 से 25 रुपए प्रतिदिन का खर्च बैठता है, जिसमें उसे चारा, पानी की व्यवस्था व उसकी साफ-सफाई भी की जानी है। पशुपालन मंत्री के अनुसार प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस खर्च को 12 से 15 हजार प्रति महीना करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी गो माता के नाम पर मात्र राजनीति करती है, जबकि कांग्रेस पार्टी समस्या का मूल समझती है। उन्होंने कहा कि सरकार गौ सदनों में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करेगी। पशुपालन मंत्री ने कहा कि गौ सदनों को प्रदेश के मुख्य मंदिरों के साथ जोड़ा जाएगा, जिसमें मंदिर की कमाई का कुछ हिस्सा इन गो सदनों के बेहतर रखरखाव के लिए किया जाएगा। (एचडीएम)
पशुओं के शरीर में फिट की जाएगी चिप
अपने पशुओं को चुपचाप सडक़ों पर बेसहारा छोडऩे वाले मालिकों का पता लगाने के लिए सरकार ने एक नई तरकीब निकाली है। पशुपालन मंत्री ने कहा कि पहले पशुओं के कानों में टैगिंग की जाती थी, लेकिन पशु मालिक उस टैग को कान से निकाल देते थे। अब पशुओं के शरीर पर एक चिप फिट की जाएगी, जिसमें पशु मालिक की पंचायत, ब्लॉक उसका सारा एड्रेस होगा। यदि कोई पशु मालिक अपने मवेशी को बेसहारा छोड़ता है, तो उसकी पहचान की जा सकेगी।