विधानसभा चुनाव से पहले BJP का 'महाप्लान, हिमाचल प्रदेश में अगड़े भी बन जाएंगे आदिवासी
शिमला: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Elections) से पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बड़ा राजनीतिक कदम उठाने जा रही है। दरअसल केंद्र कथित तौर पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी रीजन को 'आदिवासी' का दर्जा देने पर विचार कर रहा है। ऐसे में यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाती है, तो इस रीजन में रहने वाले सभी समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय की ओर से पेश किए जाने वाले प्रस्ताव पर अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श होने की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश में पहले जहां हट्टी समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग थी, वहीं केंद्र अब इसे पूरे क्षेत्र में लागू करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रहा है। दरअसल केंद्र के इस कदम की वकालत को इस आधार पर सही ठहराया बनाया जा रहा है कि यह उत्तराखंड के जौनसार क्षेत्र में 1967 (तब अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में किया गया था, जो वर्तमान में भी जारी है। इसके अतिरिक्त सिरमौर का ट्रांस-गिरी रीजन जौनसार के साथ सीमा साझा करता है और ऐसा कहा जाता है कि दोनों में एक अंतर-राज्य सांस्कृतिक समानता है।
ठाकुर और ब्राह्मण भी बन जाएंगे आदिवासी
राज्य के किसी क्षेत्र में आदिवासी दर्जे का विस्तार हाल के दिनों में नहीं हुआ है और इसे राज्य के चुनावों से पहले एक राजनीतिक दांव के रूप में देखा जाता है। सूत्रों ने कहा कि यदि प्रस्ताव वास्तव में लागू किया जाता है, तो इसका मतलब होगा कि कई ओबीसी समुदायों और अनुसूचित जातियों के अलावा प्रमुख ठाकुर और ब्राह्मण भी आदिवासी बन जाएंगे। दरअसल एसटी का दर्जा देश में एक बहुप्रतीक्षित कैटगरी है, क्योंकि इससे ओबीसी और एससी लिस्ट की तुलना में आरक्षण के ज्यादा लाभ मिलते हैं।
हट्टी समुदाय संग कई जातियों पर एक साथ निशाना
बीजेपी के लिए आदिवासी कार्ड को लेकर कोई भी नीतिगत फैसला फायदा पहुंचाने वाला होगा। क्योंकि क्षेत्र के मतदाताओं खासतौर से राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हट्टी समुदाय को लुभाने के लिए यह एक अच्छी राजनीतिक पहल साबित होगी, जो पिछले कुछ सालों से आदिवासी दर्जे की मांग कर रहा है और बीजेपी के पक्ष में मतदान कर सकता है। इसके अलावा यह फैसला उच्च जातियों और ओबीसी को भी खुश करेगा जो इस नीति के जरिए फायदा उठाएंगे।
2022 के आखिर में होने हैं चुनाव
दरअसल 2022 के आखिर में होने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करेगी। इसके लिए कांग्रेस ने एक आक्रामक अभियान शुरू किया है। जबकि राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच बारी-बारी से सरकारों और सत्ता को वोट देने का इतिहास रहा है। वहीं राज्य की बीजेपी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर तब सामने आई जब कांग्रेस ने नवंबर 2021 में मंडी लोकसभा क्षेत्र और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जीते।