शिमला: राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में जहां अस्पताल प्रशासन का दावा है कि अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. अस्पताल के एमएस भी मरीजों की सुविधा के लिए कई काम करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर इन दावों को फेल करने में लगे हैं. अस्पताल में खून की जांच और टीएमटी से जुड़े लोग सुबह 11 बजे तक प्रयोगशाला में नहीं पहुंच रहे हैं। इससे मरीज भी काफी परेशान हो रहे हैं. स्थानीय मरीज तो इंतजार करते ही हैं, दूर-दराज से आने वाले मरीजों को भी शाम की बस पकड़ कर वापस जाना पड़ता है. ऐसे में वह सुबह नौ बजे अस्पताल में पर्ची निकालकर लाइन में लग जाते हैं ताकि जल्दी से सारे टेस्ट और इलाज करवाकर घर लौट सकें, लेकिन आईजीएमसी में इन दिनों कुछ डॉक्टर लापरवाही बरत रहे हैं। उधर, एमएस डॉ. राहुल राव भी इस बात से अंजान हैं। कौन किस विभाग में कब आ रहा है, इसे लेकर अस्पताल प्रशासन लापरवाह है। बता दें कि आईजीएमसी में 24 घंटे मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। वहीं इन दिनों मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है. ऐसे में अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.
जहां अस्पताल में रोजाना 2 से 3 हजार मरीजों की ओपीडी होती थी, वहीं मौसम साफ होने के बाद सोमवार को इस ओपीडी का आंकड़ा बढ़ना शुरू हो गया है। ओपीडी में डॉक्टर भी समय से पहले आकर मरीजों की बीमारी का पता लगाने के लिए टेस्ट लिख रहे हैं, लेकिन करीब 11 बजे तक लैब में कोई विशेषज्ञ नहीं पहुंचने से लोगों का समय बर्बाद हो रहा है। . दो घंटे के काम के लिए मरीजों को चार से पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि अगर जांच सुबह दस बजे होती है तो कभी-कभी उसकी रिपोर्ट 12 बजे तक मिल जाती है. सबसे ज्यादा परेशानी उन मरीजों को होती है जो सुदूर गांवों से आते हैं. यहां मजदूरों की संख्या अधिक है. एक मजदूर अपनी दिहाड़ी मजदूरी छोड़कर अस्पताल पहुंचता है और जल्दी पहुंच जाता है, यह सोचकर कि वह अस्पताल में अपना इलाज जल्दी करा लेगा और शाम को घर लौटकर अगले दिन काम पर चला जाएगा, लेकिन डॉक्टरों को इसकी कोई परवाह नहीं है. . वहीं दूसरी ओर डॉक्टर अस्पताल प्रशासन के दावों को फेल करने में लगे हैं और मरीजों व उनके तीमारदारों का समय बर्बाद करने पर तुले हैं.