शिमला। एएसआई पद पर तैनात एक पीएसओ अब डिमोट होकर कांस्टेबल के पद पर पहुंच गया है। प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद पुलिस मुख्यालय की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू की ओर से शनिवार को जारी आदेशों में कहा गया है कि प्रदेश उच्च न्यायालय के 14 जुलाई को पारित विकास बनाम स्टेट मामले के आदेशों और 26 अगस्त, 2023 को डिपार्टमैंट प्रोमोशन कमेटी के रिव्यू के बाद यह फैसला लिया गया है। इसके तहत 5 जनवरी, 2021 को कांस्टेबल भूपिंद्र कुमार (अब एएसआई) को हैड कांस्टेबल के पद पर जारी पदोन्नति आदेश को वापस ले लिया गया है और तत्काल प्रभाव से कांस्टेबल के पद पर वापस भेज दिया गया है। 8 दिसम्बर, 2020 को सरकार ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात पीएसओ को हैड कांस्टेबल बनाने के लिए स्थायी आदेश जारी किए थे, जिसके तहत मुख्यमंत्री के पीएसओ को पदोन्नत करने का प्रावधान करते हुए शर्त रखी थी कि जिस कांस्टेबल ने 3 साल से अधिक का समय मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगाया हो, उसे विशेष रियायत के 10 प्रतिशत कोटे के तहत हैड कांस्टेबल बनाया जाएगा।
एक शर्त यह भी थी की एक साल में केवल एक कांस्टेबल को पदोन्नत किया जाएगा। यह रियायत केवल मुख्यमंत्री के पीएसओ तक ही सीमित की गई थी। इस पर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की सुरक्षा में तैनात पीएसओ ने उपरोक्त स्थायी आदेशों का लाभ केवल मुख्यमंत्री के पीएसओ तक सीमित करने को गैर-कानूनी ठहराते हुए उन्हें भी विशेष रियायत में शामिल करते हुए पदोन्नति का लाभ देने के लिए याचिका दायर की थी। जिस पर 18 जुलाई को न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करने के साथ-साथ सरकार के स्थायी आदेशों को भी अवैध ठहराते हुए खारिज कर दिया था। प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के सुरक्षा अधिकारियों को कांस्टेबल से हैड कांस्टेबल पदोन्नत करने संबंधी रियायती आदेशों को अवैध ठहराया है। इन्हीं आदेशों के तहत पीएसओ भूपिंद्र कुमार की प्रोमोशन को भी तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है। पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने कहा कि इस संबंध में उनके कार्यालय द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं और भूपिंद्र कुमार की पदोन्नति आदेश को वापस लेते हुए उन्हें कांस्टेबल के पद पर वापस भेज दिया गया है।