आखिर क्यों खास है रोहतांग टनल, राष्ट्रपति ने Atal Tunnel को देखकर कहा- इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना
आखिर क्यों खास है रोहतांग टनल
मनाली, Atal Tunnel Rohtang, राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने शनिवार को दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर लंबी अटल टनल रोहतांग को निहारा। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) योजक परियोजना के चीफ इंजीनियर जितेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में बीआरओ ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। चीफ इंजीनियर जितेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति को अटल टनल की खूबियों से अवगत करवाया। राष्ट्रपति ने अटल टनल के निर्माण को इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि यह परियोजना देश का गौरव है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन अक्टूबर 2020 को अटल टनल रोहतांग देश को समर्पित की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय मंत्री राज नाथ सिंह के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गटकरी ने 24 जून 2021 को और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 26 सितंबर 2021 को प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ अटल टनल का दौरा किया था। शनिवार को देश के राष्ट्रपति ने अटल टनल काे निहारा।
यह हैं टनल की खूबियां
अटल टनल रोहतांग की राष्ट्रपति ने भी खूब सराहना की। टनल में 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन तथा 60 मीटर की दूरी पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम, 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरे हैं। प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर एयर क्वालिटी गुणवत्ता निगरानी, 25 मीटर पर निकासी प्रकाश/निकासी इंडिकेटर पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली और प्रत्येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैंपर्स लगाए हैं। टनल में वाहनों की गति 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा तय है। प्रतिदिन 5000 वाहन आर पार हो सकते हैं। सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली अपनाई गई है।
3200 करोड़ रुपये से बनी है टनल
निर्माण की लागत 3200 करोड़ रुपये रही है। निर्माण में 150 इंजीनियरों एक हजार मजदूरों ने सेवाएं दीं। निर्माण में 2 लाख 37 हजार 596 मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल, ऑस्ट्रियन तकनीक का प्रयोग, 14508 मीट्रिक टन इस्पात का इस्तेमाल हुआ है। टनल के नीचे एक और आपातकालीन सुरंग है। आपात स्थिति में टनल से बाहर निकलने में आसानी होगी। टनल निर्माण के दौरान 14 लाख क्यूबिक मीट्रिक टन मलबा बाहर निकाला गया।