वीर बाल दिवस: हरियाणा के जींद से उठी थी मांग, प्रधानमंत्री को भेजे गए थे सवा लाख पत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर साल 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों के नाम पर ‘वीर बाल दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की है।

Update: 2022-01-09 16:52 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर साल 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों के नाम पर 'वीर बाल दिवस' मनाए जाने की घोषणा की है। दरअसल, यह मांग तीन साल पहले हरियाणा के जींद से उठी थी। इसको लेकर डीएवी संस्थाओं के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. डीडी विद्यार्थी की ओर से तीन साल पहले प्रयास शुरू किए गए थे। इस पर बाल शौर्य सम्मान समिति के साथ ही समिति के अध्यक्ष डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने खुशी जताई है। कहा कि उस वक्त इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री को सवा लाख पत्र भेजे गए थे।

रविवार को अर्बन इस्टेट स्कूल स्थित डीएवी स्कूल में पत्रकारों से बातचीत में डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि यह मुहिम पिछले तीन साल से निरंतर चलती रही है। पहली बार पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के शहीदी दिवस के मौके पर 19 दिसंबर 2018 को इसके लिए प्रयास आरंभ हुए। उस वक्त विद्यार्थियों की ओर से प्रतिदिन 500 पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए।
कोरोना काल से पहले विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सवा लाख पत्र भेजे थे। 26 दिसंबर 2018 को डीएवी पब्लिक स्कूल में व 27 दिसंबर 2018 को कलीराम डीएवी पब्लिक स्कूल सफीदों में गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत दिवस को बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया था।
उस वक्त मांग की गई कि देश और धर्म पर बलिदान होने वाले ज्ञात-अज्ञात बालकों की स्मृति में बाल बलिदान दिवस घोषित किया जाए। कहा कि 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है, जिसमें बालकों के बलिदान का कोई संदर्भ नहीं होता। दूसरी मांग यह रखी गई की बलिदानी बालकों के जीवन चरित्र स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिति की दोनों बातों को मानते हुए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस घोषित किए जाने की बात कही है। मांग को लेकर किया गया था बाल शौर्य सम्मान समिति का गठन : डा. विद्यार्थी
26 दिसंबर को वीर बाल दिवस घोषित किए जाने पर बाल शौर्य सम्मान समिति ने पीएम की सराहना की है। समिति के अध्यक्ष डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि देश व धर्म के नाम पर शहीद होने वाले बालकों की याद में शहीदी दिवस घोषित होना ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के चलते उनकी यह मुहिम मंद पड़ गई थी, लेकिन गत वर्ष 2021 नए सिरे से इस मांग को बुलंद किया गया।
यहां बातचीत में डॉ. विद्यार्थी ने कहा कि मांग को और अधिक मजबूती से उठाने के लिए जींद की सभी सामाजिक संस्थाओं को मिलाकर बाल शौर्य सम्मान समिति का गठन किया था।। 26 दिसंबर को जींद में प्रांत स्तरीय बाल बलिदान दिवस मनाने का भी फैसला लिया गया। बताया कि उन्होंने 110 बाल बलिदानियों के जीवन चरित्र की खोज की और छोटे बच्चे बड़े बलिदान में 52 बच्चे और नन्हे फरिश्ते नामक किताब में 58 बच्चों के जीवन चरित्र संग्रहित किए।
गुरु गोविंद सिंह के साहबजादों के बलिदान दिवस को बाल बलिदान दिवस घोषित करने की मांग को जोरदार ढंग से उठाया गया। गत वर्ष 26 दिसंबर को हुए कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी पहुंचे थे और उन्होंने बाल शौर्य सम्मान समिति की मांग का समर्थन किया था।डॉ. विद्यार्थी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों के शहादत दिवस 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस और सभी बलिदानों के चरित्र भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा कर बाल शौर्य सम्मान समिति की मांग पूरी की है। डॉ. विद्यार्थी ने इस घोषणा के बाद गुरुद्वारा मंजी साहिब में माथा टेका और परमात्मा का धन्यवाद किया।
जींद के लिए विशेष दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीर बाल दिवस घोषित करना जींद के लिए फक्र की बात है। जींद की कई संस्थाओं ने मिलकर इसके लिए काम किया। जींद के भाजपा विधायक डॉ. कृष्ण मिड्ढा के माध्यम से मांग मुख्यमंत्री मनोहर लाल व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची। इसके बाद यह दिन आया है। ऐसे में देश के वीर बच्चों के लिए जींद की विशेष भूमिका रही है। -गुरजिंद्र सिंह, महासचिव, बालशौर्य सम्मान समिति
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