हिसार न्यूज़: जिले में अनियमित रूप से बसी करीब 260 कॉलोनी में से अधिकांश में सीवर लाइन या ड्रेनेज सिस्टम नहीं है. इनमें से कुछ कॉलोनियों में बीते कुछ वर्षों में सीवर लाइन तो बिछाई गई, लेकिन उन लाइनों को ट्रंक लाइन से नहीं जोड़ा गया. इससे यहां पर बारिश के पानी की निकासी के इंतजाम नहीं हो पाए हैं.
कॉलोनियों के बाहर नाले हैं जो लंबी दूरी तय करते हुए बड़े नालों तक पहुंचते हैं, लेकिन बीच-बीच में नाले-नालिया खस्ताहाल में हैं. ये कहीं टूटे हुए हैं तो कहीं अतिक्रमण के कारण बंद पड़े हैं. कई जगहों पर तो नाले में गाद और पॉलीथिन से अटे पड़े है. इससे बारिश का पानी सड़कों और रिहायशी इलाकों में जलभराव है.
फाइलों से बाहर नहीं निकल रहा सीवर लाइन का काम स्मार्ट सिटी फरीदाबाद के एनएच इलाकों में करीब 65 साल पुरानी सीवर लाइन बदलने का काम फाइलों से बाहर नहीं आया है. इन इलाकों में करीब 65 साल पहले करीब 35 हजार आबादी के मददेनजर सीवर लाइन और ड्रेनेज सिस्टम बिछाया गया था.
इन इलाकों में जलभराव ग्रीन फील्ड रेलवे अंडरपास, -पुराना फरीदाबाद रेलवे अंडरपास, -शिवदुर्गा विहार चार्मवुड विलेज, -अशोका एंक्लेव, -सेहतपुर, -सेक्टर-21, -एनएच-एक,-एनएच-दो, -एनएच-तीन,-एनएच-पांच,-वायुसेना मार्ग, -डबुआ सब्जी मंडी सड़क, -60 फुट रोड जवाहर कॉलोनी, -नंगला एंक्लेव, पर्वतीया कॉलोनी, -सेक्टर-23, जीवन कॉलोनी में जलभराव है.
नाले का 70 फीसदी काम
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे नाले बनाने का काम छह साल से अधूरा है. 70 फीसदी काम ही पूरा हो सका है. नीलम चौक के पास नाले का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है. जबकि गांधी कॉलोनी में काम शुरू होते ही बंद कर दिया गया.
30 फीसदी काम बाकी
निर्माणाधीन नालों का काम करीब 30 फीसदी अधूरा है. पेरीफेरल सड़क के किनारे कहीं 30 फीसदी तो कहीं 40 फीसदी तक काम अधूरा है. नालों का निर्माण कार्य अधूरा, नालों पर अतिक्रमण और ठीक से सफाई नहीं हो रही.
बजट नहीं मिल पाया
नालों का काम कभी बजट तो कभी अधिकारियों की लापरवाही से काम अधूरा पड़ा है. बजट के अभाव में बार-बार इन नालों का काम रूकता है. ठेकेदारों का बकाया भुगतान न होने के कारण अधिकांश बड़े नाले गंदगी से अटे पड़े हैं.
निगम पर उठ रहे सवाल
शहर में नगर निगम की पानी निकासी की जिम्मेवारी है. इसके अलावा कुछ नए सेक्टरों में एचएसवीपी और औद्यागिक सेक्टरों में हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत ढांचा विकास निगम की जिम्मेवारी है.
पिछले 20 वर्ष में ये योजनाएं बनीं
● 105 करोड़ से अमृत कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने की योजना
● 102 करोड़ की लागत से जेएनएनयूआरएम के तहत पानी निकासी की योजना
● 151 करोड़ की लागत से एनएच इलाकों में सीवर लाइन की योजना
● 90 करोड की लागत की एनआईटी इलाके में जलनिकासी की योजना
● 204 करोड़ की लागत की सीवर लाइन व जलनिकासी की योजना
बारिश और कई बार बगैर बारिश के भी डबुआ इलाके की सड़कों और गलियों में पानी भरा रहता है. पानी निकासी का कोई इंतजाम नहीं है. नाले टूटे हुए हैं. इसलिए क्षेत्र में जलभराव की समस्या बीते कई साल से ऐसी ही बनी हुई है. इससे अब मानसून में परेशानी बढ़ेगी.
-अभिषेक, निवासी डबुआ कॉलोनी
अधिकांश शहर अनियमित ढंग से बसा हुआ है. इसलिए पूरे शहर में बारिश के बाद होने वाले जलभराव की निकासी का कोई इंतजाम नहीं है. इंजीनियर को जहां जैसा समझ में आया खोद दिया. काम पूरा किया नहीं.इसलिए अब तो ये भी पता नहीं है? कि सीवर या ड्रेनेज सिस्टम कहां है? ऐसे में पूरे शहर की ड्रेनेज और सीवर की व्यवस्था नए सिरे से करने की आवश्यकता है, ताकि मानसून में जलभराव न हो.
-रवि सिंघला, सेवानिवृत्त नगर योजनाकार, नगर निगम
शहर में थोड़ी सी बारिश में ही पॉश सेक्टर-21 की सड़कों और गलियों में जलभराव हो जाता है. पुलिस आयुक्त के कार्यालय के सामने तो पंपिंग सेट लगाकर पानी निकाल दिया जाता है. जबकि अन्य इलाकों में पानी कई दिन तक भरा रहता है.
-आलोक अरोड़ा, निवासी, सेक्टर-21
शहर के कई इलाकों में सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहीं होने से जलभराव की दिक्कत होती है. एनएच क्षेत्र में नई लाइन बिछेगी.
-बीरेंद्र कर्दम, मुख्य अभियंता, नगर निगम