Panipat: शहीद मेजर की पत्नी ने सास-ससुर को धोखा देकर चली गयी मायके

Update: 2024-07-07 14:54 GMT
Panipat पानीपत: देश के लिए शहीद होने वाले जवानों के परिवार के प्रति सभी के मन में सम्मान के साथ सहानुभूति होती है, लेकिन कभी-कभी असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसा ही कुछ Panipat निवासी शहीद मेजर धौंचक के परिवार में अनबन के चलते हो गया है। दरअसल शहीद मेजर की पत्नी और उनके माता-पिता के संबंध वैसे नहीं रहे जैसे कभी हुआ करते थे। जिसके कारण उनके माता पिता इधर-उधर भटकने को मजबूर हो गए हैं। मेजर की शहादत को अभी एक वर्ष पूरा भी नहीं हुआ कि धौंचक की पत्नी ने अपने सास और
ससुर
से रास्ते रिश्ते तोड़ दिए और वह मायके जाकर बस गईं।
शहीद की पत्नी ने सास-ससुर के साथ किया दगा
मेजर ने अपनी शहादत देश के लिए दी। मेजर के शहीद होने से उनकी पत्नी ने पति और बेटी बाप खोया है। इसके साथ ही बूढ़े माता पिता ने अपना इकलौता बेटा या फिर यूं कहें कि बुढ़ापे में अपनी इकलौती उम्मीद खो दी है। इससे भी गहरा अघात शहीद के वृद्ध माता पिता को तब लगा, जब शहीद की पत्नी अपनी इकलौती बेटी के साथ सरकार की तरफ से मिली सहायता व 30 तोला घर से उठाया और मायके में जाकर बस गई। जिससे शहीद के माता पिता के जीव में अंधेरा छा गया।
Family का आरोप है कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। जिसके बाद मां-बाप ने हरियाणा पंचायत मंत्री एवं पानीपत ग्रामीण विधानसभा से विधायक महीपाल ढांडा के जरिए सीएम नायब सिंह सैनी से गुहार लगाई है। जिसमें उन्होंने सरकारी नौकरी उनकी बहू को न दिए जाने समेत अन्य मांग रखी है। सीएम ने उचित फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया है।
आखिरी चेक पर साइन करवा कर चली गई बहू
एक media कंपनी से खास बातचीत में शहीद की मां कमला ने बताया कि 13 सितंबर 2023 को उनका बेटा मेजर आशीष धौंचक अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गया था। आगे वह बताती हैं कि बेटे की शहादत के बाद से बहू ज्योति ने तेवर बदल लिए थे। सरकार से मिलने वाली सहायता राशि मिलने से पहले बड़े प्यार से बात करती थी। जब आखिरी चेक मिलने के बाद वह 7 दिन के लिए मायके गई थी। इस दौरान वह साथ में अपनी बेटी वामिनी को भी लेकर चली गई और वापिस नहीं लौटी।
धौंचक के माता पिता का कहना है कि जब उन्होंने ज्योति से बातचीत की तो उसने कभी वापिस न आने की बात कही। उसके मां-बाप से बात की तो उन्होंने भी बात करने से मना कर दिया। इतना ही नहीं पंचायती, सामाजिक तौर पर भी उन्होंने किसी भी तरह की बात करने से मना कर दिया। इसके अलावा उन्होंने बताया कि फरीदपुर TDI में नवनिर्मित मकान, जोकि आधा आशीष के नाम था वह भी अपने नाम करवा गई। जाते हुए उसने घर के ऊपर वाले हिस्से में ताला लगा दिया था।
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