हरियाणा में केवल 15 दिन का कोयला स्टॉक, भीषण गर्मी में प्रदेश पर मंडरा रहा बिजली संकट, सरकार के पास नहीं कोई विकल्प

हरियाणा में इस बार लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है.

Update: 2022-04-14 06:06 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरियाणा (Haryana) में इस बार लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल हरियाणा में अडानी और टाटा (Tata) कंपनियों से टाइअप होने के बावजूद भी बिजली आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है. वहीं दूसरा विदेशी कोयले के रेट बढ़ने से नई दरों को लेकर पेंच फंसा हुआ है और प्रदेश में कोयले का संकट बढ़ (Power Shortage in Haryana) रहा है. हरियाणा सरकार के पास अब सिर्फ 15 दिन का कोयला स्टॉक ही बचा है. अगर आगामी कुछ दिनों में कोयले की आपूर्ति नहीं बढ़ी तो बिजली संकट और बढ़ सकता है. इस समय प्रदेश में रोजाना 8 हजार मेगावाट बिजली की मांग चल रही है. इसे पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने अपने सभी पावर प्लांटों को चला दिया है. इनमें पानीपत की तीनों इकाई, यमुनानगर की दोनों और खेदड़ की एक यूनिट को चलाया गया है.

इन प्लांटों को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोजाना 15 रैक कोयले की जरूरत है. जबकि हरियाणा को 10 रैक ही मिल रहा है. ऐसे में पहले स्टॉक कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा है. यही स्थिति रही तो प्रदेश में मात्र 15 दिन का कोयला स्टॉक ही बचा है. स्थिति को देखते हुए हरियाणा सरकार ने केंद्रीय बिजली मंत्री को कोयला आपूर्ति बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है.
कंपनी की सरकार से नई दरें लागू की मांग
अडानी की कंपनी गुजरात की तर्ज पर हरियाणा से नई बिजली दरें चाह रही है. कंपनी ने सरकार को 3.40 रुपये की बजाए 6.25 रुपये प्रति यूनिट की नई दरों का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत यह संभव नहीं है. कंपनी का तर्क है कि विदेशी कोयला महंगा होने के चलते उनको हजारों करोड़ का घाटा हुआ है. इसलिए वह अब प्लांट नहीं चला सकती. इसलिए विदेशी कोयले की बढ़ी दरों के लिए सरकार अतिरिक्त चार्ज दे, इसके बाद ही बिजली सप्लाई शुरू हो पाएगी.
कंपनी का तर्क है कि गुजरात सरकार ने भी नई दरें लागू की हैं. फिलहाल हरियाणा सरकार कंपनी के साथ कम से कम रेट के लिए मोल भाव कर रही है. बता दें कि अडानी से 1424 मेगावाट और टाटा की कंपनी से 500 मेगावाट बिजली का करार है.
विदेशी कोयला खरीदेगी सरकार
कोयले की कमी को लेकर हरियाणा सरकार इस बार कुल खपत का 10 प्रतिशत तक विदेशी कोयला खरीदने की तैयारी में है. पहले यह चार प्रतिशत था, लेकिन केंद्रीय मंत्रालय के निर्देशों के बाद इसे अधिक किया गया है. यह घरेलू कोयले से महंगा होता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता अच्छी होती है. इसके लिए प्रदेश सरकार टेंडर निकालने जा रही है ताकि गर्मी के पीक सीजन में प्रदेश को कोयले की कमी का सामना न करना पड़े.
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