चावल ट्रेडिंग के नाम पर एक करोड़ की ठगी, तीन गिरफ्तार
चावल ट्रेडिंग में कमीशन एजेंट बनकर एक करोड़ रुपये की ठगी करने वाले तीन ठगों को सदर थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
चावल ट्रेडिंग में कमीशन एजेंट बनकर एक करोड़ रुपये की ठगी करने वाले तीन ठगों को सदर थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों से 38 लाख 56 हजार 500 रुपये की नकदी, 37 तोला सोना व एक लैपटॉप बरामद किया गया। सदर थाना प्रभारी तरसेम कांबोज ने बताया कि 15 दिसंबर को बलराज निवासी गांव अटावला जिला पानीपत हाल निवासी अल्फा सिटी, करनाल ने शिकायत दी थी कि उसने कुछ दिन पहले ही अल्फा सिटी में ऑफिस बनाकर इंडी गोल्ड चावल के नाम से फर्म बनाकर चावल की ट्रेडिंग का काम शुरू किया था। इस फर्म में उसके तीन अन्य व्यक्ति भी पार्टनर थे।
उसने बताया कि आरोपी राजबीर निवासी बाता, जिला कैथल कई वर्षों से उनके संपर्क में था। राजबीर ने पूर्व नियोजित योजना के तहत विवान होटल करनाल में चावल ट्रेडिंग करने को लेकर दो लोगों बडे़ चावल ट्रेडर्स बताकर उससे मिलवाया। उस समय राजबीर और उनके बीच 61 रुपये प्रति किलो के भाव से 300 टन चावल दिलाने और उसी चावल को फिर 68 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकवाने की बात पर सहमति हुई।
यह सौदा आरोपी द्वारा क्रेता व विक्रेता से 2 से 3 प्रतिशत कमीशन लेने की शर्त पर तय हुआ था। जिसके बाद आरोपी राजबीर ने अलग-अलग समय पर उससे व उसके पार्टनरों से पांच लाख रुपये, 25 लाख रुपये व 70 लाख रुपये कुल एक करोड़ रुपये ले लिए। लेकिन आरोपी ने उन्हें चावल नहीं दिलाए।
चावल दिलाने के लिए बार-बार वह गुमराह करता रहा। आखिरकार आरोपी ने शिकायतकर्ता को चावल दिलाने से मना कर दिया और चावल या रुपये वापस मांगने पर जान से मारने की धमकी देने लगा। इस संबंध में आरोपी के खिलाफ 28 दिसंबर 2021 को धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया। जांच उप निरीक्षक चरण सिंह थाना सदर को सौंपी गई।
जल्द अमीर बनने के लिए बनाई फर्जीवाड़े की योजना
19 जनवरी को मुख्य आरोपी राजबीर को जीरकपुर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने रिमांड के दौरान दो साथियों राजबीर निवासी गांव कलायत, जिला कैथल व नसरुद्दीन निवासी समालखा जिला पानीपत के नाम का खुलासा किया। मुख्य आरोपी राजबीर की रिमांड के दौरान ही दोनों आरोपियों राजबीर व नसरुद्दीन को गिरफ्तार किया गया।
आरोपी ने दो साथियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम देने का खुलासा किया। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी बिना काम किए जल्द करोड़पति बनना चाहते थे। मुख्य आरोपी ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने की योजना बनाई। आरोपियों को जेल भेज दिया है।