कुरुक्षेत्र को कहा जाता मंदिरों का शहर, भोलेनाथ को करना है खुश तो इस मंदिर में जरुर करें जलाभिषेक

Update: 2022-07-14 07:44 GMT
कुरुक्षेत्र: सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू (Sawan 2022 start date) हो रहा है जो 12 अगस्त तक चलेगा. इस बार सावन महीने में चार सोमवार पड़ेंगे. सावन में सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है. शिव भक्तों के लिए ये महीना बेहद खास होता है. पूरे महीने श्रद्धालु अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं. सावन के महीने में भक्तों पर भगवान भोले का जादू सिर चढ़कर बोलता है. भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए सावन के महीने में कुरुक्षेत्र के स्थानेश्वर मंदिर की विशेष मान्यता है.
स्थानेश्वर मंदिर के गद्दी प्रबंधक स्वामी रोशन पुरी ने बताया कि ये मंदिर मंदिर प्राचीन काल से है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि शिवलिंग के रूप में भगवान शिव की पहली बार पूजा इसी स्थान पर हुई थी. इसलिए इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. कुरुक्षेत्र के तीर्थ धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में आकर शिवलिंग के दर्शन जरूर करते हैं. स्थानेश्वर मंदिर में आए बिना कुरुक्षेत्र के 48 कोस धाम की परिक्रमा पूरी नहीं मानी जाती.
स्थानेश्वर मंदिर का पौराणिक नाम स्थाणु है. स्थाणु शब्द का अर्थ होता है भगवान शिव का वास. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध आरंभ होने वाला था तब पांडव और भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी. मंदिर के आंगन में ही स्थाणु सरोवर बना हुआ है. वामन पुराण में इसे स्थाणु तीर्थ कहा गया है. जिसके चारों ओर हजारों शिवलिंग हैं. कहा जाता है कि प्रजापति भगवान ब्रह्मा ने स्थाणु मंदिर में खुद इस शिवलिंग की स्थापना की थी.
इस बार सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू (Sawan 2022 Kab se shuru hai) हो रहा है. इस बार सावन महीने में 4 सोमवार पड़ रहे हैं. इसलिए इस बार भक्तों को 4 सोमवार व्रत करना होगा. सावन के महीने का पहला सोमवार व्रत 18 जुलाई को होगा. सावन का महीना 14 जुलाई को शुरू होकर 12 अगस्त को रक्षाबंधन त्योहार तक चलेगा. सावन महीने में सोमवार का विशेष महत्व है. स्थानेश्वर मंदिर के पुजारी रोशन पुरी ने बताया कि सावन महीने से चतुर्मास की शुरुआत हो जाती है. सावन से शुरु होने वाले व्रत 4 महीने तक चलते हैं. मान्यता है कि जो व्यक्ति चतुर्मास में खानपान का अच्छे से ध्यान रखकर विधि विधान का पालन करता है उसके जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता.
स्थानेश्वर मंदिर की अलग धार्मिक मान्यता है.
सावन में सोमवार व्रत का महत्व- स्थानेश्वर मंदिर के गद्दी प्रबंधक स्वामी रोशन पुरी ने बताया कि वेदों में माना गया है कि व्रत ही तप है. इन व्रत को कैसे और कब किया जाए इसके अलग-अलग विधि-विधान होते हैं. नियम से हटकर जो व्रत किये जाते हैं उनका कोई धार्मिक महत्व नहीं होता. सावन महीने को व्रत के लिए खास चुना किया गया है. इस महीने में उपक्रम व्रत का महत्व ज्यादा है. इसे श्रावणी भी कहते हैं.
कैसे रखें सोमवार का व्रत- कुरुक्षेत्र के पंडित रोशन पुरी ने बताया कि सावन के पहले सोमवार पर व्रत रखने के लिए सुबह स्नान करके भगवान शिव का जलाभिषेक करें. इस दौरान भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, पुष्प आदि समर्पित करें. इसके बाद घर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करें. पूजा करने के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश की आरती करें. उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती होती है. भगवान शिव को रोली, अक्षत पुष्प, धूप व दीपक अर्पित करें. सावन सोमवार के व्रत की कथा पढ़कर शिव मंत्र का जाप करें.
मान्यता है कि शिवलिंग के रूप में भोलेनाथ की पहली पूजा यहीं हुई.
सावन का सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है. व्रत में एक समय भोजन करने को एकासना कहते हैं और पूरे समय व्रत रखने को पूर्वोपवा कहा जाता है. यह व्रत कठिन होते हैं. इस व्रत में केवल फलाहार करना चाहिए. साबूदाने की खिचड़ी भी इस व्रत में नहीं खाना चाहिए. सावन में इस बार 7 खास व्रत त्योहार आयेंगे. इनमें सोमवार, 24 जुलाई को कामिका एकादशी, मंगलवार, 26 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, गुरुवार, 28 जुलाई को हरियाली अमावस्या, रविवार, 31 जुलाई को हरियाली तीज, मंगलवार, 2 अगस्त को नागपंचमी और गुरुवार, 12 अगस्त को रक्षाबंधन.
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