हाल में ही पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने वाली बीजेपी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सख्त टिप्पणी की है। दिल्ली पुलिस को भी लताड़ लगाई है। नूपुर शर्मा को फटकार लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस सूर्यकांत अपनी सख्त टिप्पणियों के बाद सोशल मीडिया में चर्चा में हैं। वे इससे पहले भी कई मामलों में सख्त रवैया अपना चुके हैं।
जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा में हिसार के उपमंडल नारनौंद के पेटवाड़ गांव के रहने वाले हैं। गांव में इस समय उनके परिवार में बड़े भाई रिटायर्ड अध्यापक रिषीकांत हैं। रिषीकांत ने बताया कि उनका परिवार मध्यवर्गीय ग्रामीण पृष्ठभूमि का है। चार भाई हैं और सूर्यकांत उनमें सबसे छोटे। एक भाई डॉक्टर शिवकांत और एक आईटीआई से रिटायर्ड देवकांत हैं। सूर्यकांत चंडीगढ़ में प्रेक्टिस करना चाहते थे तो पिता ने कहा था कि वहां खाने पीने के लिए भी बहुत खर्च हो जाता है, ऐसे में रहना कैसा होगा। मगर सूर्यकांत ने ठान रखा था कि उसे वकालत क्षेत्र में कुछ करना है। उसने अपने सपने पूरे किए।
मामूली अपराध करने, पर प्रवृति नहीं बदलने पर खारिज कर दी थी जमानत
27 जून 2022 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपनी कृषि भूमि में चोरी का एक व्यक्तिगत अनुभव बताया। अपीलकर्ता के वकील ने एक मामले में 'छोटा अपराध' होने का दावा कर अग्रिम जमानत की मांग की थी। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी कृषि भूमि में हुई चोरी की घटना का किस्सा सुनाया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि, 'उनके पास कुछ कृषि भूमि और ट्यूबवेल हैं। एक सुबह उनकी जमीन के केयरटेकर ने फोन कर बताया कि चोरी हुई है। खेत से पोल और ट्यूबवेल से तांबे के तार चोरी हुए थे।
जस्टिस ने उनसे पुलिस में शिकायत करने के लिए कहा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि SHO ने एक टिप्पणी की कि 'क्या करें हम? चोर को हमने परसों ही कोर्ट में पेश किया था और उसे जमानत मिल गई।' जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हालांकि अपराध 'गंभीर नहीं' है, लेकिन यह उनके मुवक्किल के 14 मामलों में शामिल होने से संबंधित है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच को वकील ने अवगत कराया कि अपीलकर्ता ने अन्य सभी मामलों में जमानत हासिल कर ली है। जस्टिस सूर्यकांत ने 14 मामलों में संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए माना कि अपीलकर्ता ने अपना रास्ता नहीं बदला है। उन्होंने कहा, "यह एक और समस्या है। एक बार जब आपको जमानत मिल जाती है, तो आप वही काम फिर से शुरू कर देते हैं।" वर्तमान मामले में अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर हुए पीठ ने अपीलकर्ता को आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया।
किसानी के भी शौकीन, कविता भी लिखते
गांव पेटवाड में उनके पिता मदन गोपाल शास्त्री और माता शशि देवी के देहांत के बाद उनके नाम पर ट्रस्ट बनाया हुआ है। ट्रस्ट के माध्यम से हर साल गांव के स्कूल में मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करते हैं। जस्टिस सूर्यकांत खेती के भी शौकीन है। गांव के स्कूल में 10वीं पास की। उन्हें खेती का भी शौक है और वे अपने ताऊ के साथ खेती के काम में भी हाथ बंटाते थे। रिषीकांत ने बताया कि सूर्यकांत कविता लिखने के शौकीन हैं।
कहा था दिल्ली में 5 स्टार होटल में बैठकर किसानों को दोष देना सही नहीं
जस्टिस सूर्यकांत ने वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान कहा था कि वह अभी भी किसान हैं और वह अपने मूल स्थान पर कृषि गतिविधियां करते हैं। उनकी यह टिप्पणी तब आई जब पराली जलाने का मुद्दा चर्चा में था। उन्होंने कहा कि एक किसान के रूप में वह किसानों की कठिनाइयों को समझने की स्थिति में हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि किसी को भी किसानों की दुर्दशा से कोई सरोकार नहीं है, कौन से परिस्थितियों में वे पराली जलाने को मजबूर हैं, और कौन से कारणों से वे सरकार की सुझाई वैज्ञानिक रिपोर्टों का पालन करने में असमर्थ हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था, 'दिल्ली में 5 स्टार होटल में बैठकर किसानों को दोष देना सही नहीं है। कृषि कानूनों के बाद उनकी भूमि का क्या हुआ? इतनी छोटी जोत के साथ, क्या वे इन मशीनों को खरीद सकते हैं? यदि आपके पास वास्तव में कोई वैज्ञानिक वैकल्पिक है तो उन्हें इसका प्रस्ताव दें, वे उन्हें अपना लेंगे।' जस्टिस सूर्यकांत ने जितेंद्र सिंह बनाम पर्यावरण मंत्रालय और अन्य मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि तालाब सार्वजनिक उपयोगिताओं के लिए हैं। उन्होंने इस मामले में सीधे-सीधे पर्यावरण मंत्रालय को ही खरी-खोटी सुनाई थी।