रेलवे बजट में चंडीगढ़-वाया नारायणगढ़-यमुनानगर तक रेललाइन बिछाने की घोषणा हुई

Update: 2024-05-22 05:23 GMT
अम्बाला : रेलवे बजट में कई बार चंडीगढ़-वाया नारायणगढ़-यमुनानगर तक रेललाइन बिछाने की घोषणा हुई, लेकिन दस साल पहले स्वीकृत हुई इस परियोजना के बाद भी लोग ट्रेन नहीं देख पाए। यहीं नहीं बजट में घोषणा के बाद चंडीगढ़ से यमुनानगर तक सर्वे भी हुआ और सर्वे के बाद रेलवे लाइन की जगह चिह्नित करके छोटे खंभे भी लगा दिए। बावजूद इसके यह परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई, वहीं इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए तत्कालीन भाजपा से सांसद रतनलाल कटारिया ने पुरजोर प्रयास किए। जबकि रेलवे इसे घाटे का सौदा मानती रही।
 लगभग 876 करोड़ रुपये की लागत से 91 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाई जानी थी। इस परियोजनाओं के लिए उठापटक रही। कभी फंड के लिए तो कभी जमीन के लिए भूमि अधिग्रहण के कारण पेंच फंसा रहा। इस दौरान सांसद की तरफ से केंद्र सहित हरियाणा सरकार को पत्र भी लिखे गए, लेकिन आज तक यह मामला कागजों में ही सिमट कर रहा गया।
दरअसल, यह योजना वर्ष 2009 में बनी थी और वर्ष 2013-14 में 91 किलोमीटर लंबी यमुनानगर-चंडीगढ़ रेलवे लाइन को बिछाने की मंजूरी मिली थी। वर्ष 2016-17 में इस परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने 25 करोड़ स्वीकृत किए। लेकिन इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
जीएम को सौंपा था मांगपत्र
इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए हुड्डा सरकार में जोर-आजमाइश की थी। जबकि दूसरी तरफ स्थानीय लोगों की इस आवाज को खुद तत्कालीन सांसद दिवंगत रतनलाल कटारिया ने भी बुलंद किया और लगभग आठ साल पहले इस परियोजना से संबंधित विस्तृत जानकारी को लेकर एक पत्र उत्तर रेलवे महाप्रबंधक को भी सौंपा था। इसमें परियोजना का आधा-आधा खर्च केंद्र और राज्य सरकार की ओर से वहन करने की जानकारी दी गई थी। लेकिन यह परियोजना अब मात्र एक ख्वाब ही बनकर ही रह गई। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के धरातल पर आने से न सिर्फ यमुनानगर, बल्कि अंबाला, पंचकूला और चंडीगढ़ के लोगों को भी फायदा होता
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