हरियाणा सरकार ने की मार्केट फीस माफ, फल और सब्जी विक्रेताओं को दिया बड़ा तोहफा

हरियाणा सरकार ने की मार्केट फीस माफ

Update: 2022-01-11 15:26 GMT
हरियाणा सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए फल व सब्जी (Fruit and Vegetable) विक्रेताओं के लिए मार्केट फीस (Market fee) माफ कर दी है. कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने मंगलवार को भिवानी जिले की सब्जी मंडी के औचक निरीक्षण के बाद इस बात की जानकारी दी. दलाल ने कहा कि राज्य की मंडियों में फल व सब्जी विक्रेताओं को मार्केट फीस नहीं देनी पड़ेगी. हरियाणा सरकार (Haryana Government) द्वारा एक प्रतिशत मार्केट फीस व एक प्रतिशत एचआरडीएफ (हरियाणा रूरल डेवलपमेंट फंड) फीस को माफ कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के व्यापारियों को सालाना कुल 30 करोड़ का लाभ होगा.
जय प्रकाश दलाल का कहना है कि प्रदेश सरकार किसानों (Farmers) और व्यापारियों के साथ है. व्यापारियों के हितों के लिए निरंतर कल्याणकारी नीतियां लागू कर रही है. व्यापारी वर्ग के हितों पर किसी प्रकार की आंच नहीं आने दी जाएगी. प्रदेश के फल व सब्जी विक्रेता काफी समय से मार्केट फीस को माफ करने की मांग करते आ रहे थे, जिसको सरकार ने माफ कर दिया है.
खजाने का नुकसान नहीं होने देंगे: दलाल
फल व सब्जी विक्रेताओं ने कृषि मंत्री दलाल का आभार जताया. कहा कि वे सरकार के खजाने का नुकसान नहीं होने देंगे तथा किसी न किसी रूप से सहयोग जरूर करेंगे. कृषि मंत्री ने सफाई व्यवस्था का जायजा लिया और मंडी परिसर से पानी निकासी व नियमित रूप से सफाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मंडी में सीवरेज व्यवस्था के लिए योजना तैयार की जाए.
सीएम ने साल भर पहले ही कर दिया था एलान
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने पांच लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले छोटे व्यापारियों की एक फीसदी मार्केट फीस माफ करने की घोषणा एक साल पहले जनवरी 2021 में ही कर दी थी. इसके लिए, हरियाणा कृषि उत्पाद बाजार (सामान्य) नियम, 1962 में संशोधन का एलान किया गया था.
व्यापार मंडल ने कहा-पहले भी नहीं लगती थी फीस
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व कान्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग का कहना है कि मनोहरलाल सरकार ने ही मार्केट फीस लगाई थी और इन्होंने ही माफ कर दिया. इसलिए कोई बहुत बड़ा काम नहीं किया है. पिछली सरकार में फलों और सब्जियों पर मार्केट फीस नहीं लगती थी. इन्होंने इससे मोटी कमाई की है. अब भी धान और गेहूं बेचने पर 2 फीसदी मार्केट फीस और 2 फीसदी ही एचआरडीएफ फीस लगती है.
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