Haryana: स्थानीय साइबर थाने की टीम ने साइबर ठगी के मामले में संलिप्त 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने लोगों को टेलीग्राम टास्क/टेलीग्राम पर ऑनलाइन काम का झांसा देकर साइबर ठगी की है। आरोपियों की पहचान किशोर, ऋषभ, ऋषि कश्यप, मुकेश नाथ, कैलाश नाथ, प्रमोद कुमार, अभिषेक और अमन के रूप में हुई है। आरोपी यूपी, राजस्थान के रहने वाले हैं। पुलिस ने इनके पास से 24 मोबाइल, 4 लैपटॉप, 8 एटीएम कार्ड, 2 चेकबुक, 8 कैशबुक, 7 सिम कार्ड व अन्य सामान बरामद किया है।
मामले की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए खाते उपलब्ध कराते थे और ठगी की प्राप्त रकम को खातों में ट्रांसफर करते थे। साइबर थाने की टीम इस मामले में चार आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। शिकायतकर्ता सुनील कुमार निवासी खैराना ने साइबर ठगी की शिकायत देते हुए बताया कि वह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त है। 9 जुलाई को उसे टेलीग्राम पर ऑनलाइन काम करने संबंधी मैसेज मिला और घर बैठे ऑनलाइन काम करने की प्रक्रिया बताई गई। इसके बाद 12 जुलाई को उसे एक वेब लिंक भेजा गया, जब शिकायतकर्ता ने उस लिंक पर क्लिक किया तो एक वेबसाइट खुली।
जिस पर शिकायतकर्ता ने उनके बताए अनुसार वेबसाइट पर अपनी सारी जानकारी भरकर रजिस्ट्रेशन कर लिया। उसके बाद साइबर ठगों ने शिकायतकर्ता को एक ग्रुप में शामिल करवा दिया। जिसमें प्रतिदिन वेबसाइट पर कुछ टास्क पूरे करने होते थे, जिसके बदले में वेबसाइट पर उसके खाते में कुछ पैसे जमा करवाए जाते थे। जिसे शिकायतकर्ता ने अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लिया। उसके बाद 13 जुलाई को उसे एक टास्क दिया गया, जिसके पूरा होने पर शिकायतकर्ता के वेबसाइट खाते में 12,000 रुपए दिखाए गए। उसके बाद साइबर ठग शिकायतकर्ता से टास्क पूरे करवाते रहे और उससे कई अलग-अलग खातों में पैसे जमा करवाते रहे और वेबसाइट पर उसके खाते में पैसे बढ़ते रहे।
शिकायतकर्ता ने अपनी बचत और दोस्तों व रिश्तेदारों से उधार लेकर साइबर जालसाजों द्वारा दिए गए अलग-अलग बैंक खातों में अलग-अलग तारीखों में कुल 1,18,47,353 रुपए जमा करवा दिए। लेकिन साइबर जालसाजों द्वारा उस पर पैसे जमा करवाने का दबाव भी बनाया जा रहा था, जबकि 1,18,47,353 रुपए जमा करवाने के बाद भी शिकायतकर्ता ने पैसे जमा नहीं करवाए। शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज कराई कि अज्ञात व्यक्तियों ने अपनी पहचान छिपाकर योजनाबद्ध तरीके से उसे विश्वास में लेकर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से गलत जानकारी देकर उसके साथ साइबर धोखाधड़ी की।