हिसार में मिले 5000 साल पुराने शहर के सबूत

ये एक शोध का विषय है.

Update: 2022-05-09 09:17 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : भारतीय पुरातत्व विभाग के रिसर्चर, कुमार सौरव बताते हैं कि जब आप पक्की ईंट की बात करते हैं तो आप इस ड्रेन की बात करते हैं जो एक हड़प्पा कालीन ड्रेनेज है.बतौर कुमार आज भी साफ सफाई के मामले में हमें उनसे सीखना चाहिए. हड़प्पाकालीन शहर में जल निकासी की एक विकसित प्रणाली थी. वहां, तब नालियों के ऊपर घड़े की तरह एक सोक पिट रखा जाता था, जो नालियों में कचरा जाने से रोकता था.

राखीगढ़ी गांव के टीलों के नीचे कच्ची और पक्की ईंटों से बनी सड़कें और घरों की संरचना भी मिली है. वहां एक चूल्हा भी मिला है, जो पांच हजार साल पुराना है. चूल्हे के बारे में कुमार सौरभ ने बताया कि यह बड़ा दिलचस्प है कि चूल्हे को मडब्रिक लगाकर उसका प्लेटफार्म तैयार किया गया, फिर उसमें एयरसप्लाई होती थी, तब ये चूल्हा या भट्टी जलती थी. हालांकि उन्होंने कहा कि इस चूल्हे में खाना बनता था या यह किसी और काम आता था, ये एक शोध का विषय है.

राखीगढ़ी के टीला नंबर 7 के नीचे हड़प्पाकालीन लोगों के शवों का अंतिम संस्कार के सबूत मिले हैं. हाल की ताजा खुदाई के दौरान वहां दो महिलाओं के शव मिले हैं. शवों के आसपास रखे सामान हड़प्पाकाल के विकसित होने के कई सबूत दे रहे हैं. दूसरे रिसर्चर प्रवीण भास्कर ने बताया कि उन सामानों में शेल के बैंगल मिले हैं इनके अलावा पॉट्स और वाट्स मिले हैं. इसका मतलब ये है कि जो उनका मनपसंद खाना था, वो चीजें लाश के साथ साथ रखा जाता था. भास्कर ने बताया कि खुदाई में वहां कॉपर का एक आईना भी मिला है.


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