जेजेपी की रीढ़ हैं दिग्विजय, महज 32 की उम्र में वाकपटुता व जोशीले अंदाज से बनाई प्रदेश में पहचान
चंडीगढ़। प्रखर वक्ता, कुशल संगठनकर्ता और अच्छे डील डौल के धनी दिग्विजय चौटाला ने अपनी मेहनत, कुशाग्र बुद्धि और संगठन कौशल से अपनी पार्टी को राज्य की सीमाओं से बाहर एक पहचान देने का काम किया है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र व जेजेपी के संस्थापक अजय चौटाला के छोटे पुत्र दिग्विजय ने राजनीति, खेल, शिक्षा और सामाजिक सरोकारों से ओतप्रोत जीवन जिया है। महज 32 साल की आयु में वे उपलब्धियां हासिल की हैं जिन्हें पाने में लोगों को उम्र लग जाती है।
जब इंडियन नेशनल लोकदल के साथ उनका परिवार जुड़ा हुआ था तो वे इसकी छात्र विंग इनसो के अध्यक्ष रहे। इनसो के रूप में उन्होंने इतना बड़ा और मजबूत संगठन खड़ा किया जिसकी धाक पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में दिखाई देती है। इनसो अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने अपने छात्र आंदोलनों के बल पर सरकारों को झुकाया और छात्र शक्ति की आवाज बनकर उभरे। छात्रों में एक विश्वास का वे प्रतीक बने।
वर्ष 2019 में उन्होंने जींद विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव लड़ा ओर 37 हजार 648 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इसी साल 2019 में ही उन्होंने जेजेपी प्रत्याशी के तौर पर सोनीपत सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन विजयश्री से दूर रह गए। एक नई पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर इतना मतदान पाकर उन्होंने अपने आपको साबित अवश्य किया है।
दिग्विजय सिंह चौटाला हैंडबाल फैडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं और क्रिकेट में भी उन्होंने खूब हाथ आजमाए हैं। बचपन से ही खेलों के प्रति रुचि रखने वाले दिग्विजय ने क्रिकेटरों को क्रिकेट किटें वितरित करके उन्हें खेलों के प्रति उत्साहित करने का काम बहुत बार किया है। अपनी वाकपटुता के लिए वे जाने जाते हैं और अपनी पार्टी के प्रति होने वाली बयानबाजी का बड़ी मुखरता के साथ जवाब देते हैं। आपको याद होगा जब उनके चचेरे भाई ने उन पर भाजपा के साथ चिपके रहने वाले चमगादड़ कहा था तो उन्होंने बड़ी शालीनता के साथ करारा जवाब दिया था। अभी हाल ही में उन्होंने एक फिल्म के डायलॉग ‘मजनू हमसे जलता है...’ के माध्यम से अपने चाचा अभय सिंह चौटाला पर तंज कसा था।