साइबर अपराध के मामले तीन सॉफ्टवेयर से जल्द सुलझेंगे

Update: 2023-07-28 10:53 GMT

गुडगाँव न्यूज़: साइबर अपराध के मामलों को जल्द सुलझाने के लिए गुरुग्राम साइबर पुलिस भी स्मार्ट बन रही है. साइबर थाने में तैनात पुलिसकर्मियों को भी ठगी के नए ट्रेंड और मामलों की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. अब तीन नए सॉफ्टवेयर आई क्यूब, ऑक्सीजन और मैगनेट तैयार किए गए हैं, जिनकी मदद से साइबर अपराध के मामले जल्द सुलझा लिए जा रहे हैं.

कॉल डिटेल की जांच में आई क्यूब मददगार जालसाजों तक पहुंचने के लिए साइबर पुलिस को सैकड़ों मोबाइल नंबर की जानकारी जुटानी पड़ती है. उसके बाद फिर जालसाजों तक पहुंचती है. हर एक नंबर की कॉल डिटेल में हजार फोन नंबर मिलते हैं, उन नंबर तक पहुंचने में काफी समय भी लगता है. ऐसे में साइबर पुलिस आई-9 का आई-क्यूब सॉफ्टवेयर की मदद से घंटों का काम मिनटों में करती है. सॉफ्टवेयर की मदद से किन नंबर से बात हुई, उन नंबर पर कितनी देर तक बातें हुई, सभी जानकारी मिल जाती है.

ऑक्सीजन’ से मोबाइल का डिलिट डाटा भी मिल जाता है

साइबर पुलिस के पास मोबाइल फोन का विश्लेषण करने के लिए ऑक्सीजन नाम का एक सॉफ्टवेयर है. इसकी मदद से मोबाइल में डिलिट किए गए डाटा को दोबारा से रिट्राइव कर किया जा सकता है. इसमें किन-किन नंबर पर फोन किया गया, वीडियो, मैसेज, ई-मेल और फोटो को भी दोबारा से मिल जाते हैं. सॉफ्टवेयर नहीं होने से पहले मोबाइल, लैपटॉप, टैब और कंप्यूटर को जांच के लिए लैब में भेजा जाता था. इसके अलावा मैगनेट सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट का विश्लेषण करने में भी मदद मिलती है.

18 हजार लोगों को ठगी का शिकार बनाया

बता दें कि इस साल जालसाजों ने 18 हजार से ज्यादा लोगों को विभिन्न माध्यमों से ठगी का शिकार बनाते हुए 80 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर डाली. जालसाजों ने वर्क फ्राम होम, टास्क देकर मोटी कमाई करने के नाम पर, बिजली कनेक्शन काटने, पार्सल में ड्रग्स का भय दिखाकर और शराब की होम डिलीवरी के नाम पर करोड़ों रुपये लोगों से ठगी कर डाली.

सॉफ्टवेयर की मदद से साइबर अपराधों की जांच करने में मदद मिलती है. उसी के आधार पर जल्द अपराधियों को भी पकड़ा जाता है. सॉफ्टवेयर को समय पर अपडेट भी करते हैं ,ताकि जांच में आसानी हो.

-सिद्धांत जैन, डीसीपी साइबर

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