Chandigarh,चंडीगढ़: स्थानीय अदालत ने फतेहगढ़ साहिब fatehgarh sahib निवासी आसिफ खान और उसकी पत्नी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इन दोनों पर विवाह प्रमाण पत्र (निकाहनामा) पर गवाहों के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर कथित तौर पर अंतर-धार्मिक विवाह करने का आरोप है। अंतर-धार्मिक विवाह का मामला तब उजागर हुआ जब हाईकोर्ट ने संरक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को निर्देश दिया कि वह इस बात की जांच करे कि धर्म परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए फर्जी विवाह की आड़ में कोई रैकेट तो नहीं चल रहा है। लेकिन कोर्ट को पता चला कि दंपत्ति ने मस्जिद की बजाय ऑटो-रिक्शा में विवाह किया। पुलिस ने हरमनदीप सिंह नामक व्यक्ति की शिकायत पर फतेहगढ़ साहिब जिले के बड़ाली आला सिंह थाने में 7 अगस्त को आरोपियों के खिलाफ धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया था।
उन्होंने बताया कि 6 जुलाई को आसिफ खान और उनकी पत्नी ने मौलवी सकील अहमद की मौजूदगी में चंडीगढ़ के खुदा अली शेर गांव में ऑटो रिक्शा में निकाह किया। इसके बाद दोनों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रोटेक्शन पिटीशन दायर की। हरमनदीप ने बताया कि उन्हें पता चला कि निकाह प्रमाण पत्र में उनके और उनके दोस्त के फर्जी हस्ताक्षर गवाह के तौर पर इस्तेमाल किए गए हैं। सत्यापन के बाद एफआईआर चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दी गई। आरोपियों के वकील ने कहा कि आरोपी निर्दोष हैं और उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। मौजूदा एफआईआर में चालान पहले ही पेश किया जा चुका है, इसलिए आरोपियों को सलाखों के पीछे रखने का कोई मतलब नहीं है। हालांकि सरकारी वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि मामला अभी जांच के दायरे में है और शुरुआती चरण में है। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका खारिज की जाती है।