गुजरात में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने के पीछे क्या है भाजपा की रणनीति, अब तक बदले गए तीन बार सीएम

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले BJP के द्वारा मुख्यमंत्री बदलने का रिस्क पहली बार नहीं बल्कि तीन बार उठाया जा चुका है.

Update: 2022-04-01 02:45 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) से पहले BJP के द्वारा मुख्यमंत्री बदलने का रिस्क पहली बार नहीं बल्कि तीन बार उठाया जा चुका है. 2017 में भाजपा की मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार विजय रुपाणी (Vijay Rupani) के नेतृत्व में भाजपा ने चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की. गुजरात विधानसभा के चुनाव के पहले ही पाटीदार आरक्षण आंदोलन (patidar andolan) को लेकर यह कहा जा रहा था कि भाजपा का सत्ता में लौटना अब आसान नहीं होगा. लेकिन विजय रुपाणी ने इसके बावजूद भी भाजपा को सत्ता दिलाई. अब ऐसे में चुनाव जब 15 महीने रह गए तो उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा. भाजपा ने गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल को को नियुक्त किया और सभी पुराने मंत्रियों को हटाकर 24 नए चेहरों को भी शामिल किया गया.

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं की मुख्यमंत्री सरकार का मुख्य चेहरा होता है .चुनाव से पहले अगर मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के कई चेहरों को बदल दिया जाए तो जनता के बीच में सरकार के प्रति नाराजगी कम हो जाती है. गुजरात में इससे पहले भी 2016 में आनंदीबेन पटेल और 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री रहते हुए इस्तीफा देना पड़ा था. फिर विधानसभा चुनाव के बाद भी भाजपा बहुमत के साथ सत्ता में दोबारा आई.
गुजरात मे बीजेपी ने कब- कब बदले मुख्यमंत्री
गुजरात में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा दो दशक पुरानी है. भाजपा ने सबसे पहले 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री रहते हुए बदला था. उन्हें इस्तीफा देना पड़ा जबकि उनका कार्यकाल अभी भी 1 साल बचा हुआ था. जिसके बाद अक्टूबर 2001 में नरेंद्र मोदी को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया गया .इसी तरह 2016 में मुख्यमंत्री रहते हुए आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा देना पड़ा जिसके बाद विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया. फिर 2021 में चुनाव से 15 महीने पहले ही विजय रुपाणी को भी इस्तीफा देना पड़ा और राज्य में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री घोषित किया गया .ऐसा माना जाता है पाटीदार समुदाय की नाराजगी को दूर करने के लिए भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया है.
मुख्यमंत्री बदलने के पीछे क्या है भाजपा की रणनीति
गुजरात में चुनाव से पहले भाजपा का मुख्यमंत्री बदलने के पीछे खास रणनीति मानी जाती है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं. गुजरात में भाजपा लगातार 25 सालों से ज्यादा समय से सत्ता पर काबिज है. ऐसे में सरकार के खिलाफ जनता के मन में किसी तरह की नाराजगी पनप सकती है. इसी वजह से चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदल कर सरकार के प्रति जनता में नाराजगी को दूर किया जा सके .हालांकि यह काफी रिस्क भरा कदम भी हो सकता है. लेकिन गुजरात में ऐसा नहीं है राज्य में 3 बार भाजपा ने मुख्यमंत्री को बदला है .
उत्तराखंड में भी मुख्यमंत्री बदलने का फार्मूला रहा सफल
गुजरात ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में भी भाजपा का मुख्यमंत्री बदलने का फार्मूला सफल रहा. उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के साथ ही चुनाव संपन्न हुआ है. वही 1 साल पहले ही भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन 4 महीने भी तीरथ रावत सत्ता की कुर्सी संभाल नहीं सके. और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनकी जगह पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री बना दिया गया. गुजरात के बाद भाजपा का उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने का प्लान सफल रहा.
पहली बार उत्तराखंड के चुनावी इतिहास में ऐसा हुआ कि भाजपा दोबारा सत्ता में लौटी है. उत्तराखंड में 22 साल के चुनावी इतिहास में 5 साल के अंतराल पर भाजपा और कांग्रेस सत्ता की बागडोर संभालती रही हैं .इस बार उत्तराखंड में कांग्रेस का नंबर माना जा रहा था लेकिन भाजपा ने बहुमत के साथ चुनाव में जीत दर्ज की और सत्ता पर फिर से काबिज हो गई.
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