उकाई बांध का जलस्तर आठ दिन में डेढ फीट गिरा, दक्षिण गुजरात में पानी कटौती की आशंका

Update: 2023-09-07 15:29 GMT
उकाई बांध के लगातार तीन साल तक भरे रहने के बाद इस साल बरसात ने ब्रेक लिया और अब तक औसतन केवल 10.66 इंच बारिश हुई है। वहीं दक्षिण गुजरात में 1.80 लाख एकड़ में गन्ने और 1.80 लाख एकड़ में धान की खड़ी फसल को बचाने के लिए भी बांध से पानी छोड़ना जरूरी है। पिछले आठ दिनों में उकाई बांध का स्तर डेढ फीट तक गिर गया है।
उकाई बांध दक्षिण गुजरात के वलसाड, नवसारी, तापी, भरूच, सूरत जिलों के किसानों और नागरिकों के लिए एक जीवन रेखा है। इस उकाई बांध के जलग्रहण क्षेत्र में अब तक 51 वर्षामापी स्टेशनों में 13868 मिमी और औसतन 10.66 इंच बारिश दर्ज की गई है। जिसमें अगस्त माह में मात्र 1.65 इंच बारिश का पानी गिरा है। इस स्थिति के बीच 28 अगस्त तक जितना नियम स्तर की सतह थी, उतना ही पानी स्टोरेज किया था। नियम स्तर से अधिक जितना पानी आता था वह पानी बांध से छोड कर नियम स्तर बनाए रखते थे। लेकिन फिर पानी की आमदनी बंद हो गई। इसलिए 28 अगस्त से खेती के लिए 7 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाने लगा। जो आज भी लगातार पानी छोड़ रहा है।
इसके चलते 28 अगस्त को उकाई बांध का लेवल 335.92 फीट था और फिर लगातार पानी छोड़े जाने से आज घटकर 334.75 फीट हो गया।इस प्रकार, इन आठ दिनों में उकाई बांध से 186 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी कम हो गया है और सतह डेढ़ फीट नीचे गिर गयी है। फिलहाल दक्षिण गुजरात में 1.80 लाख एकड़ जमीन पर गन्ना और 1.80 लाख एकड़ जमीन पर गन्ना है, इसलिए इन फसलों को बचाना जरूरी है, इसलिए बांध को खाली कराना शुरू कर दिया गया है।
तो इस साल ग्रीष्मकालीन धान की फसल को नहीं मिलेगा पानी
सूरत जिले के किसान साल में दो बार धान की फसल लेते हैं। मानसून के बाद ग्रीष्मकालीन धान की फसल होती है। पिछले वर्ष ग्रीष्मकालीन धान की बंपर फसल हुई थी। इसलिए इस साल भी किसान ग्रीष्मकालीन धान की फसल पैदा करने पर विचार कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए यदि सितंबर या अक्टूबर में बरसात नही हुआ तो ग्रीष्मकालीन धान की फसल की सिंचाई करना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन, तापी माता की कृपा ऐसी है कि उन्होंने किसानों को कभी निराश नहीं किया है और अंत में, जब बादल बारिश करते हैं, तो बांध भर जाता है।
तीन साल बाद स्थिति बदल गई है
लगातार पिछले तीन वर्षों में बरसात के कारण बांध को खतरे के स्तर से बचाने के लिए सितंबर के महीने में लगातार तापी नदी में उकाई बांध से पानी छोड़ा और जलस्तर नीचे लाया गया। क्योंकि बांध की सतह नियम स्तर से ऊपर बह रही थी। मगर इस साल स्थिति बदल गई है । बारिश के अभाव में खेती के लिए पानी छोड़ना जरूरी है, इसलिए बांध में पानी कम होने के बावजूद पानी छोड़ कर खेती को बचाया जा रहा है।
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