गुजरात में ओवैसी की क्या है तैयारी?
असदुद्दीन ओवैसी ने अहमदाबाद और सूरत में नगर निगम चुनाव में सबसे पहले अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. हालांकि इसमें ज्यादा सफलता नहीं हाथ लगी, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में खुलकर उतरने की तैयारी में है. ओवैसी की पार्टी ने बिहार, बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा था. उत्तर प्रदेश में ओवैसी की पार्टी को कोई कामयाबी नहीं मिली लेकिन अब उन्हें गुजरात से काफी उम्मीदें हैं. गुजरात की मुस्लिम बहुत सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का मुख्य फोकस है. गुजरात में कुल आबादी का 10 फीसद मुस्लिम हैं. वहीं 21 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जिन पर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 20 फीसद से ज्यादा हैं. राज्य में कुल 35 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 15 फीसद के करीब है. गुजरात में कच्छ, भुज, सूरत अहमदाबाद, भरूच, बागरा जैसे क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है. इन विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक माना जाता है.
ओवैसी के आने से कैसे बदलेंगे समीकरण
गुजरात में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगेगी. इससे आने वाले चुनाव में कांग्रेस पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ेगा. गुजरात में इस बार आम आदमी पार्टी की पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने जा रही है. ऐसे में नई पार्टियों के गुजरात में उतरने से राजनीतिक समीकरण पर भी असर पड़ना तय है. गुजरात के मुस्लिम और आदिवासी मतदाताओं पर आम आदमी पार्टी की भी नजर है. वहीं दूसरी तरफ खुद को मुस्लिमों की सबसे बड़े नेता और अपनी पार्टी AIMIM को बड़ी पार्टी बताने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने होमवर्क करना शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में घबराहट देखी जा रही है.
गुजरात में कब हुई ओवैसी की पार्टी की एंट्री?
फरवरी 2021 में गुजरात में नगर निकाय चुनाव हुए इस चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत हासिल हुई. राज्य की 6 नगर निगम में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी ने जीत ली. हालांकि सूरत में आम आदमी पार्टी ने 27 सीटों पर जीत दर्ज करके सबको चौंका दिया. वहीं दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआएम ने भी अपने पहले चुनाव में खाता खोल लिया. अहमदाबाद में ओवैसी की पार्टी को मुस्लिम बहुल 7 सीटों पर जीत मिली थी. अहमदाबाद की 192 सीटों में से बीजेपी को 165 सीटों पर जीत मिली, जबकि कांग्रेस को केवल 15 सीटों पर ही सफलता मिली थी.