गुजरात CM ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जीपीसीबी की इस पहल का किया स्वागत
गुजरात न्यूज
गुजरात: मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने विश्व पर्यावरण दिवस के राज्यस्तरीय समारोह में स्पष्ट रूप से कहा कि यह दिवस हमारे अतीत पर दृष्टि डालते हुए वर्तमान स्थिति के उपायों के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल उज्ज्वल भविष्य की नई राह बनाने का अवसर है। उन्होंने समय की मांग के अनुरूप और पृथ्वी पर जीने के सभी के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए लोगों से सामाजिक जिम्मेदारीपूर्ण ऐसा बर्ताव करने की अपील की जिससे कि पृथ्वी को कम से कम नुकसान पहुंचे। रविवार को अहमदाबाद में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नए कदम और पहल से देश को प्राकृतिक कृषि के जरिए जमीन और मानव दोनों के स्वास्थ्य सुधार की नई दिशा मिली है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ग्लासगो में आयोजित क्लाइमेट चेंज सम्मेलन में वर्ष 2070 तक भारत को नेट जीरो कार्बन एमिशन देश बनाने का संकल्प व्यक्त किया था। प्रधानमंत्री ने इस संकल्प को साकार करने के लिए वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक ले जाने और कुल ऊर्जा जरूरत का 50 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने की मंशा जताई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने में गुजरात संपूर्ण योगदान के साथ तैयार है और राज्य के उद्योगों एवं सभी के सहयोग से गुजरात पर्यावरण प्रिय औद्योगिक विकास में अग्रणी है। उन्होंने 'आजादी का अमृत महोत्सव' वर्ष के इस विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी से जल एवं जमीन को बचाकर, उसे शुद्ध रखते हुए पर्यावरण संरक्षण का सामूहिक संकल्प करने का आह्वान किया।
श्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के उद्योगों को भी पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण की रोकथाम के साथ विकास में सहभागी बनने का अनुरोध करते हुए साफ तौर पर कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के उद्योगों के प्रयासों में उनके साथ है तथा उनके उचित एवं वाजिब मुद्दों के लिए मुख्यमंत्री या पर्यावरण मंत्री के द्वार खुले हैं।
उल्लेखनीय है कि गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) ने इस अवसर पर कई पहलें शुरू की हैं। तदअनुसार जीपीसीबी की ओर से 5 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से साबरमती, महीसागर, तापी और दमणगंगा नदियों के अलावा कांकरिया और थोळ झील पर रीयल टाइम ऑनलाइन वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित करने का कार्य जारी है। इससे नदियों और तालाबों के पानी की गुणवत्ता पर रीयल टाइम निगरानी रखते हुए उसे सुधारने के सटीक कदम उठाए जा सकेंगे। विभिन्न प्लेटफार्म की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की रीयल टाइम जानकारी को एक ही प्लेटफार्म पर लाकर मॉनिटरिंग, चेक, वार्निंग-अपडेट्स के साथ बोर्ड को ज्यादा कुशलता एवं पारदर्शी तरीके से कम मानवबल के साथ प्रदूषण नियंत्रण करने में सक्षम बनाने के लिए लगभग 7 करोड़ रुपए के खर्च से सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई गई है। इससे तुलनात्मक ग्राफिकल डेटाबेज से रिसर्च एवं डेवलपमेंट को भी गति मिलेगी। इसके अलावा, बोर्ड की ओर से वीएलटीएस (व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम) कार्यरत किया गया है। इस सिस्टम के क्लोज लूप के माध्यम से खतरनाक कचरे के प्रबंधन पर पैनी नजर रखी जा सकेगी।
जीपीसीबी द्वारा शुरू की गई हेल्प डेस्क व्यवस्था को समय की मांग के साथ बिल्कुल नया रूप देकर राज्य के चैम्बरों के मार्फत 10 से अधिक औद्योगिक एसोसिएशनों में कानूनी तथा सरकारी नियमों का मार्गदर्शन देने के लिए हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। इसके अंतर्गत बोर्ड के अधिकारियों की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मार्गदर्शन देने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इससे उद्योगों के मुद्दों का त्वरित निराकरण होगा। जीपीसीबी ने उद्योगों की समस्याओं तथा उनके मुद्दों के स्थानीय स्तर पर एक साथ निराकरण के लिए हर महीने के तीसरे बुधवार को दोपहर 3 से 5 बजे के दौरान राज्य के सभी प्रादेशिक कार्यालयों में ओपन हाउस के आयोजन की घोषणा की है। जीपीसीबी ने जमीन के चयन को लेकर उद्योगों को होने वाली अड़चनों को दूर करने तथा अन्य विभागों के मानदंडों के साथ सामंजस्य स्थापित करने 'जीपीसीबी के साइटिंग क्राइटेरिया' की घोषणा की है। इससे उद्योगपति जमीन में निवेश करने से पूर्व सुचारु तरीके से निर्णय ले सकेंगे।
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री जगदीशभाई विश्वकर्मा ने कहा कि पर्यावरण दिवस 'ओनली वन अर्थ' थीम के साथ मनाया जा रहा है। अलग क्लाइमेट चेंज विभाग शुरू करने वाले देश के चार राज्यों में से गुजरात पहला राज्य है जिसने यह कदम उठाया है। इसके साथ ही उन्होंने उद्योगों से हमारे धर्मस्थलों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम में आगे आने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि केवल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाना पर्याप्त नहीं है। हम केवल भौतिक सुविधाओं के बारे में ही सोचते हैं, लेकिन पर्यावरण के जतन एवं संवर्धन की चिंता नहीं करते। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में मनाये जाने वाले विभिन्न 'दिवस' प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यावरण दिवस से जुड़े हुए हैं, तब पर्यावरण की सुरक्षा हमारी अग्रिम प्राथमिकता है।
खाद्यान्न उत्पादन प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार 1 किलो गेहूं उगाने के लिए लगभग 800 लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। ऐसे में हमें अन्न की बर्बादी से बचना होगा। इसके साथ ही बिजली और ईंधन बचाओ जैसे अभियान भी समय की समय की मांग हैं। आगामी पीढ़ी को स्वस्थ्य पर्यावरण देना हमारा नैतिक कर्तव्य है, ऐसे में विदेशी संस्कृति को अपनाने के बदले अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाना समय की मांग है। वन एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण कुमार सोलंकी ने स्वागत भाषण में कहा कि राज्य सरकार उद्योगों और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने का काम भली-भांति कर रही है। दुनिया ने इस बात को स्वीकार किया है। राज्य का वन एवं पर्यावरण विभाग इस दिशा में कटिबद्ध है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री एवं महानुभावों ने प्लास्टिक कचरे के एकत्रीकरण और निस्तारण की मुहिम में सक्रिय योगदान देने वाले उद्योगों एवं संस्थानों का प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान किया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रांगण में पौधरोपण किया। कार्यक्रम में अहमदाबाद के महापौर किरीट कुमार परमार, विधायक अरविंदभाई पटेल, मनपा आयुक्त लोचन शहेरा, जीपीसीबी चेयरमैन आर.बी. बारड, फेडरेशन ऑफ इंडिया के कांतिभाई पटेल, गुजरात चेम्बर ऑफ कॉमर्स के हेमंत शाह, कई उद्योगपति, वरिष्ठ पर्यावरण अभियंतागण और अग्रणी उपस्थित रहे।