संजीव कुमार आडीटोरियम में आयोजित जीवन जीने का नया अंदाज सेमिनार में राजदीदी ने जीवन जीने की सीख दी
माता-पिता, सास-ससुर के सामने स्मार्ट या ओवर स्मार्ट न बनें, बातें न घुमाएँ, अपनी चतुराई, ईगो को साइलेंट मोड पर रखे। क्योंकि वो एक्टिव मोड में रहता है तो जो आशीर्वाद उनकी तरफ़ से हमारी ओर आ रहा है हम उस पर नो एंट्री का बोर्ड लगा देते हैं। यह बात नारायण रेकी सत्संग परिवार एवं सोल शाइन वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा रविवार को संजीव कुमार आडीटोरियम में आयोजित जीवन जीने का नया अंदाज सेमिनार में राजदीदी ने कही। उन्होंने काह कि हमारे माता पिता-सास ससुर इनके अन्दर ये सारी सृष्टि समाई हुई है। जब माता-पिता, सास-ससुर का व्यवहार प्रतिकूल नज़र आये तो समझ जायें कि यह प्रकृति की व्यवस्था है। जिसका कारण है हमारे नकारात्मक कर्म। नकारात्मक कर्म से तन, मन, धन आपसी संबंधों की अस्वस्थता भुगतनी पड़ती है। माथा टेकना उसे स्वस्थ करता है और हमारी वाणी, स्वभाव, व्यवहार बड़ों के प्रति सकारात्मक हो जाता है और हम तन, मन, धन व आपसी संबंधों से स्वस्थ ही स्वस्थ होते जाते हैं।
शब्दों में उर्जा होती है
हम जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उनमें ले कई गुण हमारे पास लौट कर आते हैं और जब वे लौट कर आते हैं तो वे उर्जा से भरे होते हैं और अपना प्रभाव दिखाते हैं। शब्दों की क्षमता को जानें। शब्दों की ऊर्जा को तराजू में नहीं तोला जा सकता। शब्दों को महज शब्द न समझे। उनके भीतर असीम उर्जा समाई है। इसलिए बहुत सोच समझकर शब्दों का प्रयोग करें।
संजीव कुमार आडीटोरियम में आयोजित जीवन जीने का नया अंदाज सेमिनार में बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रहीं
अनजाने में हई ग़लतियों की क्षमा कैसे प्राप्त करें
यदि अनजाने, अनचाहे हमने किसी की निंदा, बुराई, चुगली सुन ली तो पश्चात्ताप स्वरूप हमें क्या करना चाहिए। ऐसी स्थिति में राम राम 21 बार करके क्षमा याचना करें। जिनके बारे में हमने सुन लिया है उनके लिए भी पांच माला करे कि नारायण उनका जीवन, सुख, शांति, सेहत, समृद्धि, लव, रिस्पेक्ट, फेथ, केयर, की दिव्य संजीवनी से आजीवन लबालब भरा रहे यह प्रार्थना हमें सोने से पहले कर लेनी चाहिए। ताकि हमारे भूतकाल के कर्म भी बैलेंस हो सकें और हमें अनजाने में हुई गलतियों की क्षमा प्राप्त हो सके।
हर परिस्थिति में आदर दें
नारायण शास्त्र कहता है आदर, आशीर्वाद लाता है। आदर के भीतर नक्षत्र, वास्तु और भाग्य को बदलने की क्षमता है। दूसरी और जब हम किसी का अनादर करते हैं तो हमारा भाग्य साइलेंट मोड पर चला जाता है। आदर देकर नक्षत्र और भाग्य को अपने अनुकूल करना हमारे हाथ में है। जब हम सामनेवाले व्यक्ति को आदर देते हैं, तो उसे अच्छा महसूस होता है इस बात को हम आसानी से समझ सकते हैं, क्योंकि जब भी हमें कोई आदर देता है तो हमें बेहद ख़ुशी होती है और अच्छा महसूस होता है। कहा भी गया है कि - यदि अनादर के साथ छप्पनभोग भी परोस दिए जायें तो उसमें स्वाद नहीं आता और आदर के साथ परोसी हुई चटनी रोटी भी स्वादिष्ट लगती है। जब हम किसी को मान देते हैं तो हमारे भीतर जो सांस चल रही है, जो ऑक्सीजन हम ग्रहण कर रहे हैं वो संजीवनी बूटी में बदल जाती है। इससे हम और स्वस्थ और स्वस्थ होते चले जाते हैं। जिन्हें ज़रा सी भी अस्वस्थता महसूस हो रही है उन्हें अपने विचार वाणी व्यवहार में आदर को समाहित कर लेना चाहिए। वाणी व्यवहार में आदर का भाव दर्शाने के बाद ब्लड प्रेशर और शुगर भी धीरे धीरे
नॉर्मल हो जाता है। शास्त्र भी आदर के भाव का पूर्ण समर्थन करते हैं। यह बात हम सब जानते हैं कि कर्ण जैसे विद्वान ने भी केवल मात्र आदर के कारण ही दुर्योधन का साथ दिया। हर हाल में सभी को सम्मान दें।