गांधीनगर। गुजरात राज्य हथकरघा तथा हस्तकला विकास निगम (जीएसएचएचडीसी) ने एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सिस्टम का सफल क्रियान्वयन किया है। निगम के विक्रय केन्द्रों यानी गरवी-गुर्जरी एम्पोरियम में इआरपी सिस्टम कार्यान्वित होने से हस्तकला-हथकरघा कारीगरों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बारकोडिंग का कार्य शुरू किया गया है। इसके साथ ही अब निगम के लिए गरवी-गुर्जरी में बिकने वाले माल-सामान की ट्रैकिंग तथा मांग वाली वस्तुओं की पहचान करने का कार्य सरल हो गया है।
ऐसे में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभी देशवासियों का स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन देने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान करते रहे हैं और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व व मार्गदर्शन में गुजरात सरकार भी स्थानीय कला-कारीगरों की कलाकृतियों की बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए प्रयासरत हैं, तब इस इआरपी सिस्टम के क्रियान्वयन से राज्य के कारीगरों को काफी लाभ हो रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) के पाँच युवाओं के साथ मुलाकात की थी, जो राज्य सरकार के उपक्रम गरवी-गुर्जरी एम्पोरियम के रिब्रैंडिंग व रिपॉजिशनिंग प्रोजेक्ट में सहयोग करने वाले थे।
जीएसएचएचडीसी के प्रबंध निदेशक (एमडी) ललित नारायण सिंह सांदु ने बताया कि निगम संचालित गरवी-गुर्जरी एम्पोरियम में ईआरपी सिस्टम का क्रियान्वयन होने से उत्पादों की रिब्रांडिंग तथा रिपॉजिशनिंग का कार्य आसान हुआ है तथा गरवी-गुर्जरी के कामकाज में उल्लेखनीय परिवर्तन आने लगे हैं। नए ईआरपी सिस्टम द्वारा निगम की चीज-वस्तुओं की सूची के संचालन में सरलता तथा सूची के संग्रह समय का बचाव होने के कारण कामकाज में तेजी आई है। शुरुआत में निगम के 20 एम्पोरियम तथा 6 प्रशिक्षण-सह उत्पादन केन्द्र (टीसीपीसी) में मौजूदा 3,11,413 वस्तुओं को बारकोडेड किया गया। निगम के सभी एम्पोरियम में अन्य चीज-वस्तुओं भी उपलब्ध हैं, जिनमें कुल 3,11,413 बारकोडेड तथा कुल 21,507 एसकेयूएस शामिल हैं। सामान की बारकोडिंग होने से इस बात की पूर्व जानकारी मिल जाती है कि सम्बद्ध सामान की कितनी मांग है, कितनी बिक्री है और इसके आधार पर उसके उत्पादन तथा संग्रह का निर्णय करने में सहायता मिलती है।
गरवी-गुर्जरी के जरिये चालू वर्ष में बिक्री 25 करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य
ईआरपी सिस्टम द्वारा डेटा एनालिसिस किए जाने के कारण आगामी समय में जिन उत्पादों की बिक्री अधिक होने वाली हो, उसका सटीक अनुमान लगाया जा सकता है तथा कम बिकने वाली अनावश्यक वस्तुओं का उत्पादन व अधिक संग्रह टाला जा सकता है। इस सिस्टम के माध्यम से निगम के डिमांड आइटमों की पहचान करने में अनुकूलता हुई है। हाल में डिमांडिंग आइटम के रूप में साड़ी, दुपट्टे, बेडशीट, होम डेकोर जैसी वस्तुएँ शामिल हैं। निगम ने गरवी-गुर्जरी के माध्यम से गत वर्ष 13 करोड़ रुपए की बिक्री की है, जिसे चालू वर्ष में 25 करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य है।
सुव्यवस्थित उत्पादन तथा सूचना आधारित निर्णय
इआरपी सिस्टम के ज़रिये डेटा एनालिसिस कर आगामी समय में ज़रूरत पड़ने वाली वस्तुओं के उत्पादन का अग्रिम आयोजन किया जा सकेगा तथा वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि कर निगम की आर्थिक सुदृढ़ता हासिल की जा सकेगी, जिसके फलस्वरूप अव्यवस्थित कार्य प्रवाह और न्यूनतम उत्पादन के अवरोध दूर होंगे।
उन्नत ग्राहक सेवा
ईआरपी सिस्टम निगम की खरीदारी की संपूर्ण सूचना तथा निगम के एम्पोरियम के साथ केन्द्रीयकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान से ग्राहकों के साथ संबंधों को अधिक सक्षम करता है। भविष्य में यह सिस्टम ग्राहकों की व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं तथा ग्राहक संतोष में परिवर्तन ला सकता है। ईआरपी सिस्टम निगम के एम्पोरियम तक कार्य कर रहा है, जिससे हर एम्पोरियम के कामकाज तथा सर्वाधिक और सबसे कम बिकने वाली वस्तुओं के विवरण से अवगत करा रहा है। इस सूचना से सज्ज सिस्टम के चलते निगम अपने स्टोर विश्लेषण की रणनीति बना सकता है, उत्पादित भंडार की भरपाई के लिए सूचना आधारित निर्णय ले सकता है और अंतत: में बिक्री में वृद्धि कर सकता है।
प्रशिक्षण-सह उत्पादन केन्द्र (टीसीपीसी) स्तर पर इआरपी सिस्टम का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है तथा इसके अंतर्गत वस्तुओं की खरीदारी के लिए खरीद रिकॉर्ड को ट्रैक करने, सूची संचालन को अधिक बेहतर बनाने और ख़रीदारी जानकार के निर्णयों के लिए एक व्यापक डिजिटल व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। टीसीपीसी स्तर पर इआरपी डैशबोर्ड उत्पाद विवरणों, प्राप्ति विवरणों, सामग्री विवरणों तथा कारीगरों की जानकारी जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं से सज्ज है।
प्रशांत सी. तथा मौलिक पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका
ललित नारायण सिंह सादु ने बताया कि ईआरपी के प्रभावी क्रियान्वयन में आईआईएम बेंगलुरु के प्रशिक्षु प्रशांत सी. तथा निगम के सहायक प्रबंधक मौलिक पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रशांत ने इंजीनियरिंग-प्रोडक्शन क्षेत्र की वैश्विक कंपनी एल्स्टोम में अपने कार्यकाल के अनुभव का निचोड़ गरवी-गुर्जरी में ईआरपी सिस्टम को लागू करने में लगाया। उनका एक्सपोजर गेम चेंजर सिद्ध हुआ। इसी प्रकार निगम के सहायक प्रबंधक मौलिक पटेल के नेतृत्व में गरवी-गुर्जरी टीम में परंपरागत पद्धतियों से टेक्नोलॉजी से सजे ढाँचे में हस्तांतरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।