Amit Shah ने CAA के तहत 188 शरणार्थियों को नागरिकता प्रमाण पत्र किए वितरित

Update: 2024-08-18 17:54 GMT
Ahmedabad: केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को गुजरात के अहमदाबाद में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत 188 शरणार्थी बहनों-भाइयों को नागरिकता प्रमाण पत्र वितरित किए। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि सीएए सिर्फ देश में बसे लाखों लोगों को नागरिकता देने के लिए नहीं है, बल्कि लाखों शरणार्थियों को न्याय और अधिकार देने के लिए है।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की तुष्टिकरण की नीति के कारण 1947 से 2014 तक देश में शरण लेने वाले लोगों को उनके अधिकार और न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा,  "इन लोगों को न केवल पड़ोसी देशों में बल्कि यहां भी दुर्व्यवहार सहना पड़ा। ये लाखों लोग तीन पीढ़ियों से न्याय के लिए तरस रहे थे लेकिन विपक्ष की तुष्टिकरण की नीति के कारण उन्हें
न्याय न
हीं मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन लाखों-करोड़ों लोगों को न्याय दिलाया है।" केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे कहा कि आजादी के समय भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था और उस समय भयंकर दंगे हुए थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान , अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू , बौद्ध, सिख , जैन और ईसाई अपने दुखों को भूल नहीं सकते । कई परिवार उजड़ गए, जबकि विपक्ष में बैठे लोगों ने वादा किया
था कि पड़ोसी
देशों से आने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता अपने वादों से मुकर गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए आश्वासनों को भूल गए। तत्कालीन सरकार ने इन लोगों को नागरिकता नहीं दी क्योंकि इससे उनका वोट बैंक नाराज हो जाता। उनकी तुष्टिकरण की नीति के कारण इनमें से लाखों लोग नागरिकता से वंचित हो गए और इससे बड़ा कोई पाप नहीं हो सकता। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कानून लोगों के लिए है, न कि लोग कानून के लिए।
उन्होंने कहा कि हमने 2014 में वादा किया था कि हम सीएए लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार यह कानून लेकर आई। इस कानून के माध्यम से करोड़ों हिंदू , जैन, बौद्ध, सिख , जिन्हें न्याय नहीं मिला था, उन्हें न्याय मिलना शुरू हुआ। यह कानून 2019 में पारित हुआ लेकिन उसके बाद भी लोगों को भड़काया गया और कहा गया कि इससे मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी। इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है और यह नागरिकता देने का कानून है। हमारे ही देश के लोग अपने ही देश में अभाव में जी रहे हैं, इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और विडंबना क्या हो सकती है? केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून में किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे का प्रावधान नहीं है और सभी को माफी दी गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि नागरिकता देने में देरी सरकार की वजह से हुई थी, लोगों की वजह से नहीं। उन्होंने देशभर के शरणार्थियों से कहा कि यह कानून न्याय और सम्मान देने का काम करेगा और शरणार्थी लोगों के साथ हुए अत्याचारों का प्रायश्चित होगा। (एएनआई)
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