वीकेंड पार्टियों में नशे में झूम रहे युवक-युवतियां

नशे की पार्टी न्यू कपल और युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा

Update: 2021-01-24 05:49 GMT

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। नशे का कारोबार कब होगा बंद ? युवा पीढ़ी नशे के दलदल से आखिर कब बाहर निकलेगी ? आज नशा पूरी शहर के लिये चुनौती बना हुआ है। काफी पाबंदी के बाद भी लोग इसकी आगोश में आते जा रहे हैं। जिसका सीधा असर युवाओं पर साफ पड़ता दिख रहा है। नशे की समस्या से रायपुर भी अछूता नहीं रहा है। बल्कि यहां तो नशे के व्यापार में महिलाओं का नाम भी खुलकर सामने आ रहा है। शहर में गांजा, अफीम आदि नशे का कारोबार तेजी बढ़ रहा है। जिससे युवा पीढ़ी की गिरफ्त में आती जा रही है। नशे का सेवन कर रहे युवा नशे में डूबते जा रहे हैं। राजधानी में नशे की पार्टी का क्रेज़ एक बार फिर से युवाओं में खुमार बनाकर चढ़ा है। युवाओं में वीआईपी रोड की महंगी होटलों में नजऱे जमी हुई है। और हर दिन यहा हज़ारों युवा यहा पार्टी करने आते है। ड्रग्स, अफीम और डोडा का कारोबार जोर-शोर से चले जा रहा है। वही वीआईपी रोड की होटलों में नशे की पार्टी का आयोजन होने लगा है। शनिवार और रविवार की वीकेंड के मौके पर युवाओं ने रात-भर जमकर पार्टी की और नशे में मदहोश होकर झूमते रहते है। सिर्फ होटलों नहीं बल्कि रेस्टोरेंटो, ढाबों और क्लबों में भी नशे की पार्टी आयोजित की जाती है। वहां चोरी छिपे शराब पिलाने के साथ अफीम-डोडा और गांजा भी उपलब्ध कराया जाता है। ढाबे में ज्यादातर ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोग या बड़ी गाडिय़ां चलाने वाले आते हैं। घरों से बाहर रहकर पढऩे वाले भी कई छात्र-छात्राएं अक्सर ढाबे में नशा करने ही पहुंचते है। नशे के सौदागर भी युवतियों में नशे का ट्रेंड देखकर ही अफीम, ड्रग्स बेचने के लिए महिलाओं और युवतियों का सहारा लेते है।

युवाओं के नशे का जरिया बना ड्रग्स

रायपुर शहर में युवाओं का सबसे फेवरेट नशा ड्रग्स है। इसे कोक के नाम से भी जाना जाता हैं। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि एक ग्राम कोक की कीमत 6 से 7 हजार रुपए है। मुंबई से नागपुर, नागपुर से जबलपुर, जबलपुर से रायपुर कोक लाने के लिए नशे के सौदागर लंबे पहुंच लगाते है। और शहर में नशा पहुंच जाता है तो पुलिस के बनाये अभियान को ठेंगा दिखाकर खुलेआम अपना कारोबार चलाते है। अब ड्रग्स में भी आधा टैल्कम पावडर मिलाकर दे दिया जाता है। जिससे नशा तो असली हो जाता है मगर नशे का सामान रहता नकली है। युवाओं में ड्रग्स का नशा ऐसे चढ़ता है कि युवा यूं ही झूमता रहता है। कोक को नाक के जरिए लेते हैं खाते भी हैं आम तौर पर कोक का नशा आधे घंटे तक ही रहता है। इसीलिए कोक के लती हर थोड़ी-थोड़ी देर के बाद कोक लेते रहते हैं एक बार जिसे कोक की लत लग गई, फिर छोडऩा भारी पड़ता है। युवाओं का चहेता ड्रग्स कोक इसलिए भी है क्योंकि ये वजऩ कम करता है। नींद उड़ाता है। चेहरे पे चमक लाता है और ऊर्जा देता है।

छुटभैया नेताओं का पूरा संरक्षण

नशा परोसने और खपाने का काम बड़े होटलों में चल रहा है, जिसमें कई रसूखदार शेयर होल्डर है, या जिनकी छुटभैया नेताओं की पहुंच वाले लोग है, ऐसे लोगों के संरक्षण में नशे का सामान युवक-युवतियों को परोसा जा रहा है। छुटभैय्या नेताओं के कारण ही ड्रग्स माफियों का कलेजा खुलकर ड्रग्स पार्टी के लिए पूरे भारत में इकलौता रायपुर शहर है जहां ड्रग्स पार्टी के लिए किसी और के कलेजे और हौसले के जरुरत नहीं हैं। अगर लॉकडाउन लगाने के पहले आज ही शासन प्रशासन ने शनिवार और रविवार की ड्रग्स पार्टियों पर रोक लगा दिया जाता तभी ये लॉकडाउन सार्थक साबित होता। इस लॉकडाउन की पार्टी से बहुत युवा लोग कोरोना से ग्रसित ऐसे ही हो जाएंगे। रायपुर के वीआईपी रोड में ऐसे कितने हुक्काबार, रेस्टोरेंट, होटल, कैफे है जो युवाओं को पार्टी करने की अनुमति देते हैं।

ड्रग्स की पार्टियां रात-भर चलती

शहर में ड्रग्स की पार्टी आए दिन गुले-गुलज़ार होने लगती है। वीआईपी रोड की सभी होटलों में नशे की पार्टियां निरंतर चलती रहती है। पुलिस के आने की सुचना जब नशे के सौदागरों को होती है तो वो पार्टी की जगह ही बदल देते है। पुलिस को दिखाने के लिए नार्मल जन्मदिन पार्टी जैसी करते है। लेकिन इसकी असलियत तो कुछ और ही होती है। रात भर वीआईपी में पार्टी करने वालों ने कानून को ठेंगा दिखाने का जुगाड़ ढूंढ लिया है। नशे के सौदागर मरीजों को दी जाने वाली आम दवाओं से हेरोइन, कोकीन और अफीम तैयार करके उसे पार्टयों में में बेच रहे हैं। ऐसे धंधेबाज जब इस हेरोइन, कोकीन या फिर अफीम के साथ पकड़े भी जाते हैं तो जांच में पुष्टि न होने के चलते आसानी से बच कर निकल भी सकते हैं।

पुलिस का कुछ ऐसा जवाब नशे के सौदागरों पर

शहर नशा करने वालों का अड्डा बन गया हैं। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक नशा तस्करी में पकड़े गए आरोपियों में अधिकांश लोग शहरी क्षेत्र के रहने वाले हैं। इनमें ज्यादातर तस्कर वे होते हैं जो बाइक या स्कूटी से पहाड़ में नशीले पदार्थों को लाकर बेचते हैं। नशे के सौदागर मोबाइल कॉल व व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर भी नशे को पहुंचाने का स्थान तय कर रहे हैं। पुलिस की नजरों से बचने के लिए तस्कर चलते वाहनों से भी नशे की पुडिय़ा पहुंचाते हैं। इस खबर के सामने आते ही तरह-तरह की खबरे भी सामने आने लगीं हैं।

ड्रग्स तस्करी के लिए हाईप्रोफाइल एप्प का इस्तेमाल

राजधानी में डार्क वेब के जरिए ड्रग्स के बड़े कारोबार का खुलासा हुआ है। इसमें बहुत सारे साइट्स और लिंक है, जिसके जरिए कुछ लोग कोकीन और एमडीएमए जैसे नशे की सप्लाई ले रहे हैं। सायबर सेल प्रभारी रमाकांत साहू ने बताया कि इंटरनेट पर आम लोग सिर्फ उसके 1 प्रतिशत का उपयोग ही कर रहे हैं। बाकी डार्क वेब और डी-वेब है, जिसके बारे में आम लोगों को जानकारी नहीं है। यह गुप्त ब्राउजर है क्योंकि एनक्रिप्शन टेक्नालॉजी की वजह से यूजर्स की पहचान गुप्त रहती है। ड्रग्स तस्करी का यह नेटवर्क ऐसी तकनीक इस्तेमाल करता है, जिससे उन्हें ट्रैक कर पाना लगभग नामुमकिन है। यूजर्स के लोकेशन और आईपी एड्रेस को ट्रेस नहीं किया जा सकता था और न ही होस्ट के बारे में जानकारी मिल पाती थी। सिल्करोड एक डार्क वेब है, जिसमें सबसे ज्यादा ड्रग्स का कारोबार चलता हैं। रायपुर ड्रग्स मामले में इस डार्क वेब के लिंक भी मिल रहे हैं। राजधानी में नशे का खूब कारोबार हो रहा है। सूत्रों की माने तो गुमटियों और गली मौहल्लो में हो रहे नशे के कारोबार को देखकर भी कोई यदि कोई हस्तक्षेप करे तो नारकोटिक्स विभाग का कार्य कहकर किनारा कर लेता है 7 राजधानी पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो छह माह में 56 लोग स्मैक, चरस, गांजा, अफीम के साथ पकड़े जा चुके हैं। कई किलो अफीम बरामद हुई है।

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