विश्वकर्मा जयंती पर जनता से रिश्ता मिड-डे अखबार दफ्तर में की गई पूजा अर्चना

Update: 2021-09-17 04:41 GMT

रायपुर। विश्व कर्मा जयंती पर जनता से रिश्ता मिड-डे अखबार दफ्तर में पूजा अर्चना की गई. बता दें कि विश्वकर्मा पूजन में सूर्य की कन्या राशि में संक्रांति का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य पं. रामप्रवेश पांडेय के अनुसार इस दिवस पर सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। वराह पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने विश्वकर्मा को धरती पर उत्पन्न किया। वहीं विश्वकर्मा पुराण के अनुसार, आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की। भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से भी जोड़ा जाता है।

इस तरह भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में जो कथाएं मिलती हैं, उससे ज्ञात होता है कि विश्वकर्मा एक नहीं कई हुए हैं और समय-समय पर अपने कार्यों और ज्ञान से वो सृष्टि के विकास में सहायक हुए हैं। शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा के इस वर्णन से यह संकेत मिलता है कि विश्वकर्मा एक प्रकार का पद और उपाधि है, जो शिल्पशास्त्र का श्रेष्ठ ज्ञान रखने वाले को कहा जाता था। सबसे पहले हुए विराट विश्वकर्मा, उसके बाद धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी, तब सुधान्वा विश्वकर्मा हुए। फिर शुक्राचार्य के पौत्र भृगुवंशी विश्वकर्मा हुए। मान्यता है कि देवताओं की विनती पर विश्वकर्मा ने महर्षि दधीची की हड्डियों से स्वर्गाधिपति इंद्र के लिए एक शक्तिशाली वज्र बनाया था।



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