माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोये एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोय

Update: 2021-02-26 05:29 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

अभी नाम बदलने का चलन हो गया है। कोई शहर का नाम बदल रहा है तो कोई स्टेडियम का नाम बदल रहा है। होशंगाबाद का नाम बदल दिया गया क्योंकि हुशंगशाह के नाम से था औरंगाबाद का नाम इसलिए बदला गया कि वह बादशाह औरंगजेब के नाम से था लेकिन ये समझ में नहीं आया की अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम का नाम क्यों बदला वो तो सरदार बल्लभ भाई पटेल के नाम से था। बहरहाल जो भी हो नाम में क्या रखा रहे काम होना चाहिये। वैसे भी पूर्व में इंदिरा गांघी के प्रधानमंत्री रहते दिल्ली के इनडोर स्टेडियम का नामकरण उनके नाम पर हुआ था, इसी बात को लेकर जनता में खुसुर फुसुर है कि अब पेट्रोल पम्पों का नाम बदल कर अब जनधन लूटपाट केंद्र रख देना चाहिए। वैसे देखा जाय तो हर किसी को मौका मिलता है इसी बात पर संत कबीर दास जी का एक दोहा याद आया - माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोये ,एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोय।

एक मच्छर साला .....

पिछले सप्ताह मघ्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीधी जिले के भ्रमण में आये थे। रात्रि विश्राम रीवा के सर्किट हॉउस में किये। इस दौरान रात भर मच्छरों ने उन्हें सोने नहीं दिया, फिर क्या वही हुआ जो होना था। मुख्यमंत्री जी के कोपभाजन के शिकार बने सर्किट हॉउस के कर्ताधर्ता सब इंजीनियर , सुबह होते ही सस्पेंशन ऑर्डर उनके हाथ में पकड़ा दिया गया और दो अधिकारीयों को नोटिस थमा दिया गया। जनता में खुसुर फुसुर है कि 24 घंटे साफसफाई रहने वाले जगह का ये आलम है तो पूरे शहर का क्या आलम होगा। जनता किस पर नाराज़ हो ,किसे सस्पेंड करे। मजे की बात ये है कि मध्यप्रदेश की जनता जिसे सस्पेंड कर चुकी थी किसी भी तरह से फिर से सत्ता में काबिज हो गए हैं। नाना पाटेकर ने सही डायलॉग मारा था कि एक मच्छर साला सबको ..... सस्पेंड करा देता है।

नारी का सम्मान हो

बात मध्यप्रदेश की ही है। वहां के पूर्व मंत्री जी ने कंगना रनोट को नाचने गाने वाली कह दिया था. फिर क्या कंगना भला कहाँ चुप रहने वाली थी वो भी मंत्री को मुर्ख बोल दीं। ये बात बिलकुल सही है कि कंगना कोई प्रवचनकर्ता तो है नहीं फिर भी कायदे से नारी के सम्मान में कोई कमी नहीं होना चाहिए मंत्री जी को सम्मान से बोलना चाहिए था सुपर डुपर डांसर बोलना था,मशहूर अदाकारा या नृत्यांगना बोलना था। वैसे भी किसी को टाइगर बोलो तो अपना सम्मान समझता है वहीं कोई उसे जंगली जानवर बोल दे तो मामला खऱाब, बहरहाल जनता में खुसुर फुसुर है कि अभी फि़लहाल कंगना के खिलाफ कुछ भी बोलना यानि मुसीबत को दावत देना है। मामला जो भी हो नारी का सम्मान हर हाल में होना चाहिए

धर्मजीत सिंह ने धर्मसंकट में डाल दिया

लोरमी से छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस(जोगी) पार्टी के विधायक हैं। पिछले दिनों पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आदत के मुताबिक 2023 चुनाव आते तक कोन सी पार्टी का दमन थामेंगे हाजिर जवाबी में उनका कोई सानी नहीं उनका जवाब था कि कांग्रेस का तो सवाल ही नहीं और भाजपा की संभावना से इंकार नहीं। इधर छजकाँ के प्रवक्ता इकबाल अहमद रिज़वी का पिछले दिनों बयान आया था कि छत्तीसगढ़ की जनता छजकाँ की सरकार बनाना चाहती है। जनता में खुसुर फुसुर है कि आने वाली 2023 की स्थिति को कौन भांप गया है,धर्मजीत सिह या इक़बाल अहमद रिज़वी । ये तो वक्त बताएगा,ऊंट किस करवट बैठेगा, फि़लहाल धर्मजीत सिंह ने पार्टी नेताओ को जरूर धर्मसंकट में डाल दिया है।

कांग्रेसियों का दर्द

कांग्रेसियों का दर्द उनके सिवाय भला कौन अच्छे से समझ सकता है। भूपेश बघेल अपना आधा पारी लगभग खेल चुके है अभी तक निगम मंडलों में नियुक्ति नहीं हुई है। एक कांग्रेसी को कुरेदने में उनका दर्द छलक पड़ता है और कहता है कि भाई साब अब तो ऐसा हो गया की मौत, ग्राहक और कांग्रेस में पद कब किसको मिल जाये कह नहीं सकते। ऊपर से एक भाजपा नेता के भतीजे द्वारा अतिसुरक्षित स्टेट हैंगर में सरकारी हेलीकाफ्टर में अपनी शादी की फ़ोटोशूट करवा कर जले में नमक छिड़क दिया उक्त कांग्रेसी का कहना था कि भाजपाई कुछ भी करवा सकते हैं कहीं भी आसानी से पहुंच सकते हैं। लेकिन यही काम हम कांग्रेसी करते तो पुलिस करवाई भी होती और पार्टी से बाहर होते वो अलग।

शिकारियों की बल्ले बल्ले

छत्तीसगढ़ में इन दिनों वन्य प्राणियों के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं ऐसा लग रहा है और दिख भी रहा है।आये दिन वन्यजीवों को बेरहमी से मारा जा रहा है,ऐसा लगता है कोई देखने सुनने वाला नहीं है। वन्यजीवों को बचाने के नाम पर काफी मोटी रकम भी खर्च किया जा रहा है लेकिन वन्यजीव बचने के बजाय दिनों दिन मारे ही जा रहे हैं। शिकारियों की बल्ले बल्ले है।

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